कहते हैं कि मरने वाले कि आखिरी इच्छा जरूर पूरी की जाती है। शायद इसीलिए कानपुर में कैंसर पीड़ित महिला (cancer suffered wife) जो जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है उसकी एक ही आखिरी इच्छा है कि मुझे मौत का अफसोस नहीं बस दुनिया छोड़ने से पहले हाथ जोड़कर प्रार्थना करती हूं कि मेरे पति की बेगुनाही साबित हो जाये।
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कभी भी हो सकती है मौत
- अब तक आपने आम जनता को पुलिस पर आरोप लगाते देखा और सुना होगा कि पैसे की मांग पूरी न होने पर किस तरह से एक आम आदमी को पुलिस गुनहगार बनाकर जेल भेजती है।
- लेकिन इस बार दर्द बयां कर रही महिला एक खाकी वर्दीधारी की बीवी है।
- जिसकी मौत कभी भी हो सकती है।
- पिछले 45 दिनों से ये अस्पताल में है और इस आस में रोज मौत से बहाना बनाती है कि एक और दिन की मोहलत दे दो आज शायद मेरे पति की बेगुनाही साबित हो जाये।
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अपने ही थानेदार का शिकार हुआ सिपाही
- कानपुर के बर्रा थाने में 2014 में तैनात सिपाही दयाशंकर वर्मा अपने ही इंस्पेक्टर और 3 दरोगाओं की साजिश का शिकार होकर जेल गया था।
- पीड़ित सिपाही जो अब हेड कांस्टेबल बन घाटमपुर कोतवाली की बिरहर चौकी में तैनात है।
- इनकी पत्नी का आरोप है कि 9 जुलाई 2014 को एक मामले के फर्जी खुलासे के लिए पुलिस ने एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया।
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- उसी के पैसों से अवैध कट्टा व पायल खरीद बेकसूर को लुटेरा बनाकर जेल भेजा था।
- इस मामले इंस्पेक्टर संजय मिश्रा के आदेश पर सिपाही दयाशंकर वर्मा ने युवक की पत्नी को फोन किया।
- जिसकी रिकार्डिंग को आधार बनाकर आईजी ने सिपाही पर मुजदमा दर्ज करने के आदेश देते हुए सिपाही को जेल भिजवा दिया था।
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- जबकि आरोपी तीनों दरोगाओं के ऊपर कोई भी कार्रवाई नहीं हुई।
- पीड़ित की पत्नी केशवती ने मामले में हाईकोर्ट से एक महीने बाद पति को जमानत दिलाई और सभी पुलिस के आला अधिकारियों के दफ्तरों पर जाकर न्यायिक जांच की प्रार्थना की पर अफ़सोस कि उसकी सुनवाई नहीं हुई।
- पीड़ित की पत्नी अब भी अपने पति के बेगुनाह साबित होने का इंतजार कर रही है।
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सिपाही को मिल रही धमकी
- इस मामले में अब सिपाही को धमकी भी मिल रही है।
- पीड़ित के बेटे भूषण ने बताया कि उसकी मां को कभी भी कुछ हो सकता है और पिता को मिल रही धमकियों से भी वो बेहद परेशान है।
- ऊपर वाले दुआ मांग रहा है की पिता को सलामत रखे और उन्हें न्याय मिले।
- दया शंकर वर्मा ने बताया कि किस तरह से उसके विभाग के उच्च अधिकारियों ने उसे फंसाकर जेल भेजा।
- वो जेल से एक माह बाद छूटा और तब से अपने गए सम्मान की लड़ाई लड़ रहा है।
- सिपाही का आरोप है कि उच्च अधिकारी भी तीनों दरोगाओं शीतला मिश्रा, वीरेंद्र प्रताप और इंस्पेक्टर संजय मिश्रा की लिखित शिकायत उत्तर प्रदेश पुलिस के सभी उच्च अधिकारियों से की पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
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- पीड़ित का कहना है कि वो इस मामले में आखिरी सांस तक लड़ेगा।
- इस मामले से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब खाकी को ही खाकी शिकार बना लेती है तो आम आदमी न्याय से कितना दूर है।
- सिपाही की न्याय के लिए जंग शुरू तो अखिलेश सरकार में हुई थी और अब योगी सरकार के आने पर भी वो न्याय से बहुत दूर है।
- ऐसे इस (cancer suffered wife) बेबस को न्याय मिलता भी है या फिर ये भी भ्रष्ट सिस्टम का शिकार होता है ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा।
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Sudhir Kumar
I am currently working as State Crime Reporter @uttarpradesh.org. I am an avid reader and always wants to learn new things and techniques. I associated with the print, electronic media and digital media for many years.