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लखनऊ के लामार्ट कॉलेज और सीनियर छात्रों पर दर्ज हुआ लूट का केस

राजधानी लखनऊ के प्रतिष्ठित ला-मार्टीनियर स्कूल और सीनियर छात्रों पर गौतमपल्ली थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है। आरोप है कि स्कूल में पढ़ने वाले जालौन जिला के उरई निवासी जय माहेश्वरी से हॉस्टल में सीनियर छात्र प्रताड़ित करते थे। इतना ही नहीं उससे होमवर्क, मारपीट और लूटपाट भी की जाती थी। मारपीट-प्रताड़ना से वह इतना अवसादग्रस्त हो गया कि पिता को उसे स्कूल से निकालना पड़ा था। पिता सुधीर डांगरा ने मानव संसाधान विकास मंत्रालय में शिकायत की थी। मंत्रालय की जांच के बाद केस दर्ज किया गया।

मंत्रालय के आदेश पर केस दर्ज

एसएसपी दीपक कुमार ने बताया कि उरई में मेडिकल स्टोर संचालक सुधीर डांगरा ने इकलौते बेटे जय का लामार्ट में कक्षा छह में दाखिल कराया था। जय हॉस्टल में रहकर पढ़ता था। सत्र 2016-17 में जय 8वीं में गया तो सीनियर छात्रों ने उसे प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। वे जय से अपना काम कराते थे। जरा-जरा सी बात पर पिटाई करते थे। रुपये भी छीन लेते थे। दहशतजदा छात्र जब छुट्टी पर घर गया तो परिवारीजनों को यह बात बताई ओर स्कूल लौटने से इन्कार कर दिया। परिवारीजनों ने वार्डन से मिलकर पूरे मामले की जानकारी दी, लेकिन उसने किसी प्रकार का सहयोग नहीं किया। तब सुधीर ने बेटे को स्कूल से निकाल लिया और मानव संसाधन मंत्रालय पहुंच गए। मंत्रालय ने सीओ हजरतगंज को जांच सौंपी। सीओ ने छात्र व पिता के बयान के बाद केस दर्ज करने का आदेश दिया।

मंत्रियों, विधायक और अधिकारियों के पढ़ते हैं बच्चे

लामार्टीनियर स्कूल में हाईकोर्ट के कई न्यायाधीश, आईएएस-आईपीएस अधिकारी, नेता-मंत्री-विधायक, रसूखदारों और बड़े कारोबारियों के बच्चे पढ़ते हैं। यही वजह है कि स्कूल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो पाती। पुलिस कोई कार्रवाई भी करना चाहे तो दबाव आ जाती है। ला मार्टिनियर स्कूल प्रशासन के रवैये को लेकर पहले भी सवाल उठे हैं। कक्षा नौ के छात्र राहुल श्रीधरन की 10 अप्रैल 2015 को कांस्टेंशिया स्मारक से रहस्यमय हालात में गिरकर मौत के मामले में पुलिस ने लीपापोती कर दी थी। पुलिस के पहुंचने से पहले ही स्कूल प्रशासन ने कई महत्वपूर्ण साक्ष्य नष्ट कर दिए। पुलिस ने भी इस केस को खुदकुशी बताते हुए रफा-दफा करने की कोशिश की लेकिन राहुल के पिता पीजीआई निवासी वी. श्रीधरन ने कोर्ट में पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए याचिका दी जिस पर घटना के सवा दो साल बाद तत्कालीन थाना प्रभारी और दरोगा पर लापरवाही बरतने के आरोप में केस दर्ज किया गया था। इस केस में अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

छात्र यश प्रताप सिंह मामले में भी स्कूल प्रशासन ने खड़े किये थे हाथ

ला-मार्टीनियर स्कूल में सीनियर्स की पिटाई के शिकार कक्षा सात के छात्र यश प्रताप सिंह के मामले में पुलिस ने स्कूल प्रशासन पर सहयोग न करने का आरोप लगाते हुए हाथ खड़े कर दिए। झांसी निवासी एसडीओ एसपी सिंह का इकलौता बेटा यश यहां लामार्ट के हॉस्टल में रहकर पढ़ाई कर रहा था। पिछले साल सितंबर में उसे हॉस्टल के सीनियर छात्रों ने पीटा और रंगदारी मांगी। छात्र ने शिकायत की तो स्कूल प्रशासन ने उलटा उस पर ही कार्रवाई करते हुए स्कूल से निकाल दिया। परिवारीजनों की शिकायत पर पुलिस ने जांच शुरू की लेकिन स्कूल के प्रिंसिपल ने सहयोग नहीं किया। इसके बाद पीड़ित परिवारीजनों ने गौतमपल्ली थाना में अज्ञात छात्रों के खिलाफ केस दर्ज कराया। सीओ हजरतगंज अभय कुमार मिश्रा का कहना है कि स्कूल प्रशासन विवेचना में सहयोग नहीं कर रहा है जिसके चलते मामला अटका पड़ा है।

इसलिए ध्यान नहीं दे पाता स्कूल प्रशासन

लामार्ट स्कूल और हॉस्टल में बच्चों की संख्या बहुत ज्यादा है। यही वजह है कि स्कूल प्रशासन उनकी पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पाता। छात्र गुंडागर्दी करते हैं, मारपीट करते हैं और नशेबाजी करते हैं। स्कूल प्रशासन ने कभी इस दिशा में ध्यान नहीं दिया। हॉस्टल में शराब की बोतलें, सिगरेट के पैकेट, मोबाइल फोन, पेन ड्राइव में अश्लील फिल्में आसानी से उपलब्ध हैं। सुधीर का आरोप है कि लामार्ट के हॉस्टल में रहने वाले छात्र शराब-सिगरेट पीते हैं और ड्रग्स लेते हैं और नशे में धुत होकर उत्पात मचाते हैं। छात्रों को नशे का हर सामान आसानी से उपलब्ध है। सीनियर छात्रों ने उनके बेटे को भी कई बार जबरन नशा कराने की कोशिश की। विरोध करने पर उसके साथ मारपीट हुई। वार्डन के साथ ही स्कूल प्रशासन के हर व्यक्ति को हॉस्टल में नशेबाजी के बारे में पता है लेकिन अब तक एक बार भी कार्रवाई नहीं की गई।

छोटे-बड़े काम जूनियर्स से ही कराते हैं सीनियर

सुधीर डांगरा ने लामार्ट के हॉस्टल में बेटे जय के साथ रैगिंग किए जाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि स्कूल प्रशासन ने हॉस्टल की सारी व्यवस्थाएं वहां रहने वाले सीनियर छात्रों के सुपुर्द कर रखी हैं। इसका लाभ उठाते हुए सीनियर छात्र अपना होमवर्क व अन्य छोटे-बड़े काम जूनियर्स से ही कराते थे। जरा सी भी गड़बड़ हो जाए तो मारपीट की जाती थी। उनके बेटे से भी सीनियर्स पूरा काम कराते थे। बेटा जब छुट्टी पर घर आया तो वह दहशत में था। उसे स्कूल जाने को कहा गया तो वह इन्कार करने लगा। जय इतनी दहशत में था कि जबरदस्ती स्कूल भेजने पर उसने खुदकुशी करने की चेतावनी तक दे डाली।

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