उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के दो चरण संपन्न हो चुके हैं तीसरे चरण का चुनाव 19 फरवरी को होना है। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव कुल 7 चरणों में होने हैं। इसी बीच गुरुवार 16 फरवरी को बाहुबली विधायक व मऊ सदर से बसपा के प्रत्याशी मुख़्तार अंसारी को दिल्ली की सीबीआई अदालत ने पेरोल दे दी है।
चुनाव प्रचार के लिए सीबीआई अदालत ने दी पेरोल:
- दिल्ली की सीबीआई अदालत ने बाहुबली विधायक और मऊ से बसपा प्रत्याशी मुख़्तार अंसारी की पेरोल की अर्जी मंजूर कर दी है।
- मुख़्तार अंसारी को यह पेरोल 17 फरवरी से 4 मार्च तक के लिए दी गयी है।
- गौरतलब बात यह है कि, मुख़्तार अंसारी को यह पेरोल यूपी चुनाव में प्रचार करने के लिए दी गयी है।
- मुख़्तार अंसारी पर कुल 13 आपराधिक मुक़दमे चल रहे हैं।
- जिनमें हत्या, मारपीट, हत्या के प्रयास सहित गैंगस्टर आदि के विभिन्न मुक़दमे दर्ज हैं।
- वहीँ मुख़्तार अब्बास के बेटे अब्बास पर एक भी मुकदमा दर्ज नहीं है।
बहुजन समाज पार्टी को मिली मजबूती:
- मुख़्तार अंसारी को सीबीआई कोर्ट ने 17 फरवरी से 4 मार्च के लिए पेरोल दे दी है।
- जिसके बाद मुख़्तार अंसारी जेल से आते ही बहुजन समाज पार्टी के लिए प्रचार करेंगे।
- मुख़्तार अंसारी के यूपी चुनाव प्रचार अभियान में शामिल होने के बाद से,
- उत्तर प्रदेश के चुनावी समीकरण में गठजोड़ ऊपर-नीचे हो सकते हैं।
- हालाँकि, इसमें दो राय नहीं है कि, मुख़्तार अंसारी के चुनाव प्रचार अभियान में शामिल होने के बाद बसपा को मजबूती मिली है।
- साथ ही उत्तर प्रदेश के चुनावी समीकरणों का जोड़-तोड़ भी एक बार फिर से शून्य में पहुंच गया है।
पूर्वांचल में समीकरण बदलने के आसार:
- बाहुबली मुख़्तार अंसारी को सीबीआई कोर्ट से 15 दिनों के लिए पेरोल मिल गयी है।
- यह पेरोल मुख़्तार अंसारी को चुनाव प्रचार अभियान के तहत दी गयी है।
- वहीँ मुख़्तार अंसारी के चुनाव प्रचार अभियान में आ जाने से चुनावी समीकरणों का आंकड़ा बदलने के आसार हैं।
- खासकर, पूर्वांचल में जिसे भारतीय जनता पार्टी अपना गढ़ समझती रही है।
- गौरतलब है कि, बाहुबली मुख़्तार अंसारी पूर्वांचल की जनता के लिए कोई नया नाम नहीं है।
बसपा सुप्रीमो मायावती के समीकरण को मिल सकती है मजबूती:
- मुख़्तार अंसारी उत्तर प्रदेश के चुनाव में प्रचार अभियान के लिए पेरोल पर आ गए हैं।
- जिसके चलते प्रदेश में यूपी चुनाव के समीकरणों में एक बार फिर से उठापटक देखने को मिल सकती है।
- पूर्वांचल में मुख़्तार अंसारी और उनकी पार्टी कौमी एकता दल किसी पहचान की मोहताज नहीं है।
- साथ ही मुख़्तार अंसारी के प्रचार अभियान में कूदने के चलते पूर्वांचल में एक विशेष वर्ग के वोटों का ध्रुवीकरण काफी हद तक संभव है।
- जिसके आधार पर ऐसा कहा जा सकता है कि, मुख़्तार अंसारी अन्य पार्टियों के समीकरण को झटका पहुंचा सकते हैं।
गठबंधन की बढ़ी मुश्किलें:
- यूपी चुनाव में प्रचार अभियान के लिए मुख़्तार अंसारी को 15 दिनों की पेरोल मिल चुकी है।
- ऐसे में चुनावी समीकरणों को लेकर यह सबसे ज्यादा चिंता का विषय सपा और गठबंधन के लिए हो सकता है।
- गौरतलब है कि, यूपी चुनाव के तहत सपा प्रमुख ने कौमी एकता दल को सपा में विलय की पेशकश की थी।
- जिस पर अखिलेश यादव को इंकार था, जिसकी प्रमुख वजह मुख़्तार अंसारी को माना जा रहा था।
- साथ ही अखिलेश यादव ने न सिर्फ इस विलय को रोका बल्कि विलय की सलाह देने वालों पर भी अपना गुस्सा निकाला।
- जिसमें उन्होंने अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव को भी नहीं बख्शा था।
- कौमी एकता दल ने दो बार विलय कराने के ड्रामे को एक प्रकार से अपनी बेइज्जती के रूप में देखा था।
- वहीँ जब कौमी एकता दल ने बसपा में अपना विलय कराया था।
- प्रेस कांफ्रेंस में अफजाल अंसारी ने जिस प्रकार अपना रोष व्यक्त किया था, उसने पुष्टि की थी कि वो सपा के व्यवहार से आहत हैं।
- यह बात तो तय है कि, मुख़्तार अंसारी का जेल से छूटने की जानकारी से सूबे का राजनीतिक गलियारा गर्म हो चुका है।