वर्तमान भाजपा सरकार में भ्रष्टाचार रुकने का नाम नहीं ले रहा है। ताजा मामला प्रयागराज जिला का है। यहाँ सीबीआई लखनऊ की ऐंटी करप्शन ब्रांच ने डीआरएम दफ्तर में छापा मारकर वहां तैनात रेलवे के दो अफसरों को रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया। सिग्नल ऐंड टेलिकॉम विभाग के दोनों इंजिनियर एक ठेकेदार से 10 लाख रुपये ले रहे थे। दोनों को लखनऊ में रिमांड मैजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया, जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।
सीबीआई ने छापेमारी से पहले सिर्फ डीआरएम को इसकी जानकारी दी। डीआरएम ऑफिस के दूसरे तल पर दोनों अफसरों के कमरों के पास किसी को नहीं आने दिया गया। सीबीआई टीम ने दोनों अफसरों के दफ्तरों के साथ घरों की भी तलाश ली। रविवार देर रात तक जारी रही तलाशी में काफी कैश, जेवरात, दस्तावेज, संपत्तियों से जुड़े कागजात और बैंक खातों की जानकारी मिली है। उत्तर मध्य रेलवे के सीपीआरओ गौरव कृष्ण बंसल ने सीबीआई छापे की पुष्टि की है।
जानकारी के मुताबिक, रेलवे ठेकेदार अवधेश मिश्रा ने सीबीआई लखनऊ को शिकायत की थी कि सीनियर सिग्नल ऐंड टेलिकॉम इंजिनियर नीरज पुरी गोस्वामी और इंजिनियर पीके सिंह ठेकों के एवज में रिश्वत मांग रहे हैं। सीबीआई को यह भी जानकारी मिली कि दोनों अफसर बिना काम के फर्जी टेंडर निकाल रहे थे। दोनों ने अवधेश को दूसरे ठेके दिलवाने के एवज में इस बात के लिए तैयार किया कि बिना काम के जो टेंडर निकाले जाएंगे वे उसकी फर्म को मिलेंगे। ठेके की रकम अवधेश की फर्म के खाते में आएगी और वह रकम निकालकर दोनों को दे देगा। आरोप है कि दोनों अफसरों ने दबाव बनाकर अवधेश की फर्म के नाम पर कई बार बिना काम के टेंडर निकले, लेकिन इस बार उसने विरोध कर दिया। अफसरों के न मानने पर उसने सीबीआई में शिकायत कर दी। सीबीआई ने नीरज पुरी को छह लाख और पीके सिंह को चार लाख रुपये लेते पकड़ा।
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