सावर्जनिक क्षेत्र की बैंकों का पाॅच हजार करोड़ वापस न करने वाले कानपुर के पेन किंग विक्रम कोठारी अब सीबीआई की जद में हैं। लखनऊ से आयी सीबीआई की एक टीम ने उनके आवासीय और कारोबारी ठिकानों पर छापा मारा है। गौर तलब है कि विक्रम कोठारी की कम्पनियों को हजारों करोड़ के ऋण अनियमित तरीकों से दिये जाने का खुलासा हुआ था। इसके बाद से ही बैंकिंग जगत में हड़कम्प मचा हुआ था।
किंग आॅफ पेन के नाम से मशहूर उद्योगपति विक्रम कोठारी अब मुश्किल में घिरते नजर आ रहे हैं। उनके उपर बैंकों का 5000 करोड़ न चुकाने का मामला नेशनल कम्पनी लाॅ ट्यिूब्नल में चल रहा है लेकिन अब मीडिया में इस भारी भरकम लोन को दिये जाने का मामला दिखाये जाने के बाद सीबीआई हरकत में आ गयी है। सीबीआई की टीम ने कोठारी के तिलक नगर स्थित आवास, माल रोड स्थित आफिस और पनकी स्थित कारखाने पर छापा मारा है।
विक्रम कोठारी गिरफ्तार, बेटे और पत्नी की हो सकती है गिरफ़्तारी
बैंक ऑफ़ बड़ौदा की शिकायत के आधार पर विक्रम कोठारी के खिलाफ केस दर्ज, विक्रम कोठारी समेत 3 के खिलाफ मामला दर्ज. रोटोमैक के तीन डायरेक्टर्स पर भी केस दर्ज हुए हैं. विक्रम कोठारी की पत्नी-बेटे को सीबीआई कभी भी कर सकती है अरेस्ट, सीबीआई की टीम ने कवायद तेज कर दी है.
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किस बैंक ने कितने दिए लोन
विभिन्न बैंकों ने विक्रम कोठारी को 5 हजार करोड़ का लोन दिया था। जिसमें सबसे ज्यादा लोन 14 सौ करोड़ रूपया है, जिसे इण्डियन ओवरसीज बैंक ने दिया है। तो वहीं दूसरे नम्बर पर सबसे अधिक लोन देने के मामले में बैंक आॅफ इण्डिया अव्वल है जिसने 1395 करोड़ रूपये कोठारी की कम्पनी को लोन दिए है। तो वहीं बैंक ऑफ बड़ौदा ने 600 करोड़, यूनियन बैंक ने 485 करोड़ एवं इलाहाबाद बैंक 352 करोड़ रूपये का भारी भरकम लोन दिया था।
विक्रम कोठारी के रसूख के चलते बैंकों ने खैरात में बांटे लोन
पान पराग समूह में पारिवारिक बंटवारे के बाद विक्रम कोठारी के हिस्से में रोटोमैक कम्पनी आयी थी। इसके विस्तार के लिये उसने सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों से पाॅच हजार करोड़ से अधिक के ऋण लिये। विक्रम के रसूख के चलते बैंकों ने उसे खैरात की तरह लोन बांटे। कागजों में विक्रम की सम्पत्तियों का अधिमूल्यन किया गया। सर्वे में कोठारी केे दिवगंत पिता मनसुख भाई कोठारी की साख को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गयी। देश के बड़े राजनेताओं के साथ रिश्तों और बाॅलीवुड की मशहूर हस्तियों के ब्राण्ड एम्बेसडर होने से बैंक प्रबन्धन ने भी आॅखें मूॅद ली। कम्पनी के घाटे को नजरअन्दाज किया गया और ऋण की रकम को हजारों करोड़ में पहुॅचने दिया गया। अब विक्रम की कम्पनी में ताला लग चुका है ।
5000 करोड़ लेकर भागने की फ़िराक में रोटोमैक कंपनी का मालिक
पान पराग समूह से नाता है विक्रम कोठारी का
आईये एक बार फिर जान लेते हैं कि कौन है ये विक्रम कोठारी और क्या है उसका रसूख। विक्रम कोठारी का नाता पान पराग समूह से रहा है। पान मसालों का सरताज रहा यह ब्राण्ड गुजराती परिवार से ताल्लुक रखने वाले मनसुख भाई कोठारी ने 18 अगस्त 1973 को शुरू किया था। सन् 1983 से 1987 के बीच ‘‘पान पराग’’ विज्ञापन देने वाली सबसे बड़ी कम्पनी बनी। मनसुख भाई के निधन के बाद उनके बेटों दीपक और विक्रम ने बिजनेस को आपस में बांट लिया। विक्रम के हिस्से में पेन बनाने वाली कम्पनी रोटोमैक आयी।
सलमान खान थे कम्पनी के ब्रांड एंबेसडर
एक समय ऐसा भी था जब कंपनी अपना सुनहरा समय बिता रही थी। उस वक्त सलमान खान इस कंपनी के ब्रैंड एंबेसडर हुआ करते थे। उन्होंने रोटोमैक पेन के लिए काफी विज्ञापन किए। इससे कंपनी के उत्पाद की बिक्री काफी बढ़ गई थी, जिससे विक्रम कोठारी ने काफी मुनाफा कमाया। लेकिन वक्त बदला और आज विक्रम कोठारी पर लगभग पाॅच हजार करोड़ का कर्ज है। ऐश-ओ-आराम की जिंदगी गुजर बसर करने वाले विक्रम कोठारी डिफाल्टर घोषित किए जा चुके हैं। केवल यही नहीं उन पर 600 करोड़ का बाउंस चेक देने पर केस भी छत्तीसगढ़ में दर्ज हो चुका है।
एनपीए की आड़ में घाटाले को छिपाने की कोशिश
बैंकिंग सेक्टर की यूनियनें लम्बे अर्से से डूबे हुए कर्ज यानी एनपीए के खिलाफ हल्ला बोलती रही हैं लेकिन भारतीय बैंकिंग संघ हमेशा से कानों में तेल डाले रहा। आज पीएनबी में नीरव मोदी के 11 हजार करोड़ के घोटाले के बाद लगभग 5000 करोड़ का कोठारी घोटाला इस बात का सबूत है कि अगर सरकार रिकार्ड खुलवा दें तो देश के एक लाख करोड़ से अधिक के एनपीए के घोटालेबाज सामने आ जाएंगे। बैंकिंग की भाषा में एनपीए उस रकम को कहा जाता है जो ऋण के रूप में दिया गया लेकिन जिसके वसूले जाने की सम्भावना खत्म हो चुकी है। दिलचस्प बात से हैं कि विक्रम कोठारी को दिये गये कर्ज को बैंक अधिकारी घोटाला न बताकर एनपीए कह रहे हैं और अपनी खाल बचाने में जुटे हैं।
लोन लेकर भागने की फिराक में कोठारी के उपर एनपीए की कार्रवाई
कुछ बैंकों ने की कोठारी के खिलाफ कार्रवाई
हालाॅकि कुछ बैंकों ने ‘‘ किंग आॅफ पेन ’’ विक्रम कोठारी के खिलाफ कुछ कार्यवाही भी की हैं लेकिन उन्हें भूमिगत होने के मौके भी मुहैया कराये हैं। इलाहाबाद बैंक ने पिछली पांच सितंबर को कोठारी की तीन सम्पत्तियों की नीलामी की तारीख तय की थी। इसमें माल रोड स्थित कोठी, सर्वोदय नगर स्थित इंद्रधनुष अपार्टमेंट का फ्लैट और बिठूर स्थित फार्म हाउस को शामिल किया गया था। तीनों संपत्तियों की कुल कीमत 17 करोड़ रुपए बैंक ने रखी थी। लेकिन विक्रम के रसूख के चलते लोगों ने नीलामी में शामिल होने से परहेज किया और संपत्तियों की बड़ी बोली नहीं लग सकी। इंडियन ओवरसीज बैंक विक्रम कोठारी के करीब 650 करोड़ रुपये के डिपॉजिट (एफडीआर) जब्त कर चुका है लेकिन इस बैंक ने उसे 1400 करोड़ रुपये का कर्ज दिया था। इंडियन ओवरसीज बैंक ने वर्ष 2010 में महज 150 करोड़ का कर्ज दिया था वो अगले दो साल में 1400 करोड़ का कैसे हो गया। इस बात का जवाब तो बैंक प्रबन्धन के ऊंचे पदों पर बैठे अधिकारियों को ही देना होगा।
बैंकों ने बंद किया लोन पर ब्याज लगाना
बैंक ने इनके बकाये लोन पर अब ब्याज लगाना बंद कर दिया है वरना यह रकम और बढ़ चुकी होती। अन्य राज्यों में भी विक्रम कोठारी की सम्पत्तियाॅ है। लेकिन उनका भी अधिमूल्यन करके कोठारी को कर्ज देने की बात सामने आ रही है। कोठरी की डूबती कम्पनी रोटोमैक ग्लोबल की रिस्टक्चरिंग के नाम पर अनाप शनाप कर्ज दिया गया और लेटर आॅफ अण्डरटेकिंग भी जारी किये गये। मामले को संज्ञान मेें लेने वाले बैंक स्टाफ यूनियनों की एक नहीं सुनी गयी और कर्ज की रकम 150 करोड़ से शुरू हुई थी वो लगभग पाॅच हजार करोड़ तक पहुॅच गयी।
कोेठारी पर जिन बैंकों पर बड़ी देनदारी है, उनमें से एक है बैंक आॅफ इण्डिया। कानपुर स्थित बैंक आॅफ इण्डिया के जोनल आफिस मे जब उनसे पूछा गया तो जोनल मैनेजर ने कोई भी अधिकारिक बयान करने से इनकार कर दिया। उन्होंने आॅफ कैमरा स्वीकार किया कि बैंक आॅफ इण्डिया की 1395 करोड़ की रकम कोठरी की कम्पनियाॅ में डूबी पड़ी है और इसे वसूलने के लिये बैंक ने एनसीएलटी को केस रेफर कर दिया है।
बैंकिंग यूनियनें 15 मार्च से हड़ताल पर
एनसीएलटी के अलावा अब बैंक यूनियने भी अब मुखर हो रही हैं। यूनियनों की फेडरेशन ने 15 मार्च को राष्ट्रव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है जिसमें एनपीए एक मुद्दा होगा। यूनियन लीडर्स का कहना है कि चाहे यूपीए की सरकार रही हो अथवा मौजूदा एनडीए सरकार सभी ने एनपीए घोटालों पर पर्दा डाल रही हैं।
यूनीयन नेताओं का कहना है कि विक्रम कोठारी घोटाले में लेटर आॅफ अण्डरस्टैडिंग के जरिये बैंकों को जमकर नुकसान पहुॅचाया गया और ओवर वैल्यूशन के जरिये कोठारी को फायदा पहुॅचाया गया। वे ये भी आरोप लगाने से नहीं चूकते कि सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों को सत्ता के दबाव में बड़े कारपोरेट घरानों को ऐसे एलओयू जारी करने पड़ते हैं और बाद में आरबीआई की गाईड लाईन का दिखावटी अनुपालन करने के लिये इसे बैंक की बैलेन्स शीट में प्राफिट से समायोजित किया जाता है।
बैंक प्रबंधकों की कुर्सी बचाने में लगे अधिकारी
विक्रम कोठरी को अनियमित तरीकों से दिये गये पाॅच हजार करोड़ के ऋण के मामले एनसीएलटी पर एक्शन में आ गया है। इस मामले एनसीएलटी यानि नेशनल कम्पनी लाॅ टियूब्नल ने बीस फरवरी को कानपुर में कोठारी को एलओयू जारी करने वाले बैंकों के साथ बैठक बुलाई है। कोठारी को फायदा पहुॅचाने वाले बैंक प्रबन्धन के बड़े अधिकारी अपनी कुर्सी बचाने के लिये कोठरी को सेटलमेण्ट की मेज पर लाने के रास्ते तलाशने लगे हैं।
मीडिया के सवालों से बचते दिखे कोठारी
रोटोमैक कम्पनी के मालिक विक्रम कोठारी मीडिया के सवालों का सामना करने से बच रहे हैं। रविवार को वे एक विवाह समारोह में शामिल होने कानपुर कैंट पहुॅचे थे तो समारोह स्थल के बाहर मीडियाकर्मियों ने उनसे पाॅच हजार करोड़ के ऋण हासिल करने से सम्बन्धित सवाल करने चाहे लेकिन कोठारी बिना रूके आगे बढ़ते गए। उन्होंने एक हाथ से न्यूज चैनलों के माईक हटाये और दूसरे हाथ से मोबाईल फोन कान से लगाकर मीडिया को नजरअन्दाज करने की कोशिश की। इसके बाद वे खिड़की पर काले शीशे वाली गाड़ी में बैठकर वहाॅ से निकल गये।
मोटर व्हेक्लि एक्ट के विपरीत उन्होने भले ही अपनी कार पर काले शीश चढ़ा रखे हों और इन शीशों के पीछे उन्होने अपना चेहरा छिपा लिया हो लेकिन मीडिया में सुर्खी बने उनके पाॅच हजार करोड़ का एनपीए उनका पीछा छोड़ने वाला नहीं था। इसलिये कोठारी ने दिल्ली में बैठे अपने कुछ खासमखास लोगों से सम्पर्क साधा और 30 सेकेण्ड का अपना बयान रिकार्ड कराकर जारी कर दिया। इस वीडियो में वे मीडिया रिपोर्टो को गलत साबित करते हुए कह रहे हैं कि उनके बैंक लोन का मामला एनसीएलटी के समक्ष विचाराधीन है और वे देश छोड़कर कहीं नहीं जा रहे हैं। आखिर में ये बोलते भी सुनाई पड़ रहे हैं कि उनका भारत महान है।
आखिर खुलकर मीडिया के सामने क्यों नहीं आ रहे है कोठारी
उनके इस बयान के सामने आने के बाद यह सवाल उठना लाजिमी है कि वे खुलकर मीडिया के सामने क्यों नहीं आ रहे हैं और एक रटा रटाया बेहद संक्षिप्त बयान जारी करने की बजाय मीडिया के हर सवाल का जवाब क्यों नहीं दे रहे हैं। सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों में जमा आम जनता की गाढ़ी कमाई का हजारों करोड़ रूपया घोटालेबाज पूॅजीपति निगल जाऐं और इसे ‘‘एनपीए’’ का नाम देकर बैंकों की बैलेंस शीट में समायोजित कर दिया जाय, क्या देश के साथ ये सबसे बड़ा आर्थिक अपराध नहीं है। देश की जनता को एनपीए का सच समझना होगा और इसे आर्थिक घोटाले की शक्ल में ही देखना होगा।