आईएएस अधिकारी अनुराग तिवारी की हुई 17 मई को लखनऊ में मौत के मामले में (CBI) सीबीआई अधिकारियों ने पुलिस तफ्तीश का ब्योरा इकठ्ठा कर लिया है। अधिकारियों ने सीबीआई मुख्यालय के जरिये केंद्रीय कार्मिक मंत्रलय को भेज दिया गया है।
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- सूत्रों के अनुसर सीबीआई (CBI) आईएएस की मौत की जांच करने के लिए तैयार है इसके लिए जल्द ही नोटिफिकेशन जारी हो सकता है।
- बता दें कि अनुराग के बड़े भाई मयंक तिवारी बेंगलुरु में हैं।
- वह कर्नाटक सरकार के जरिए भी सीबीआई (CBI) जांच कराए जाने की मांग उठा रहे हैं।
- मृतक आईएएस के घरवाले शुरुआत से ही अनुराग की हत्या के तार कर्नाटक में हुए बड़े घोटाले से जुड़े होने का आरोप लगा रहे हैं।
- घरवालों का कहना कि अनुराग कुछ प्रभावशाली व बड़े लोगों को बेनकाब करने वाले थे।
- इसी के चलते एक बड़े स्तर पर साजिश रचकर अनुराग की हत्या कराई गई है।
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क्या है पूरा घटनाक्रम?
- गौरतलब है कि आईएएस अनुराग तिवारी लखनऊ विकास प्राधिकरण के वीसी के साथ उनके 19 नंबर कमरे में मीराबाई मार्ग गेस्ट हॉउस में रुके थे।
- बुधवार सुबह करीब 6:30 बजे उनका शव मीराबाई मार्ग पर गेस्टहाऊस के निकट लगे ट्रांसफार्मर के सामने सड़क किनारे औंधे मुंह पड़ा मिला।
- राहगीरों ने इसकी सूचना पुलिस को दी।
- सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
- पुलिस को उनकी तलाशी के दौरान जेब से पर्स और पैसे मिले हैं।
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- पुलिस ने जेब से मिले आईकार्ड के आधार पर उनकी शिनाख्त की।
- प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो मृतक अधिकारी के मुंह और सिर पर चोट के निशान थे।
- आईएएस अधिकारी का शव मिलने की सूचना मिलते ही आईजी रेंज लखनऊ जय नारायण सिंह, एसएसपी दीपक कुमार सहित कई आला अधिकारी मौके पर पहुंचे।
- एसएसपी ने बताया प्रारंभिक पड़ताल में यह सामने आया है कि उन्होंने मंगलवार की रात करीब 11 बजे अपने साथियों के साथ खाना खाया।
- आशंका है कि वह सुबह मॉर्निंग वॉक पर निकले होंगे और उनकी सड़क पर गिरने से मौत हो गई थी।
- पूछताछ में पता चला है कि वह मंसूरी में ट्रेनिंग लेने के बाद दो दिन पहले लखनऊ आये थे। फिलहाल मौत की गुत्थी अभी तक नहीं सुलझ पाई है।
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ऐसे होती है सीबीआई जांच
- किसी भी केस की जांच सीबीआई (CBI) से कराने के लिए राज्य सरकार निर्धारित प्रोफार्मा पर केस के सारांश व गंभीरता का उल्लेख कर उसे केंद्रीय कार्मिक मंत्रलय को भेजती है।
- इसके बाद कार्मिक मंत्रलय उस पर सीबीआई से राय मांगती है।
- अगर सीबीआई केस की जांच को तैयार नहीं होती तो वह केस सामान्यत: उसे नहीं दिया जाता है।
- परंतु हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट अगर किसी मामले की जांच का आदेश करता है तो सीबीआई उसे मानने के लिए बाध्य होती है।
- इसके बाद सीबीआई (CBI) अपनी टीम के साथ अहम बिंदुओं को इकठ्ठा करके जांच पूरी कर लेती है।
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