कर्नाटक विधानसभा चुनावों में अपनी जीत दर्ज करवाने के लिए भाजपा ने अपना पूरा जोर लगा दिया है. आज चुनाव है और इसके बाद भाजपा उत्तर प्रदेश की ओर रुख करने वाली है. उत्तर प्रदेश 2019 आम चुनावों में भाजपा के दोबारा केंद्र में काबिज होने का एक जरिया है. जिसे दुरुस्त करना केंद्र के लिए फायदेमंद साबित होगा.
उत्तर प्रदेश 2019 के चुनावों में जीत की सीढ़ी:
एक ओर जहाँ कर्नाटक चुनावों का परिणाम भाजपा के मिशन 2019 के लिए काफी मायने रखता हैं. वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश की राजनीति को भी भाजपा के लिए महत्वपूर्ण माना जाता रहा हैं. गौरतलब है कि पिछले लोकसभा चुनावों में बीजेपी की जीत में उत्तर प्रदेश ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. यहीं कारण है कि पीएम नरेंद्र मोदी के दोबारा केन्द्र में काबिज होने के लिए रास्ता एक बार फिर उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों से ही होकर गुजरेगा.
इसीलिए कर्नाटक के बाद अब भाजपा का अगला लक्ष्य उत्तर प्रदेश होगा. बीजेपी केन्द्रीय नेतृत्व उत्तर प्रदेश में योगी सरकार और संगठन में आई खामियों को दुरुस्त करने के लिए कर्नाटक चुनावों के बाद यूपी में अपना रुख करने जा राहे है. इसके लिए केंद्र सरकार बड़े स्तर पर सर्जरी शुरू करने जा रहा है.
यूपी में मिशन 2019 के लिए होने वाली सर्जरी में सबसे पहले उन मंत्रियों का नम्बर आएगा, जिनके नकारेपन और धूमिल छवि के चलते यूपी की बीजेपी सरकार की किरकिरी हुई है.
नपेंगे उपचुनावों के बाद कई मंत्री:
ऐसे में माना जा रहा है कि कैराना उपचुनावों का रिजल्ट आने के बाद कभी भी दर्जन भर मंत्रियों की या तो छुट्टी होगी या फिर उनके विभाग बदले जा सकते हैं.
फूलपुर और गोरखपुर उपचुनाव में मिली हार के बाद से ही बीजेपी में मंत्रिमंडल में बदलाव की मांग भी उठने लगी है और इसके संकेत भी मिल रहे हैं.
इस बदलाव में कई मंत्रियों की छुट्टी होनी तय है और उनकी जगह संगठन में शामिल पदाधिकारियों को मंत्रिमंडल में शामिल होने का मौक़ा मिल सकता है.
एमएलसी आशीष सिंह पटेल को मिल सकता है बड़ा पद:
खाली हुए मंत्री पदों में अभी हाल में बने एमएलसी और सहयोगी पार्टी अपना दल के एमएलसी आशीष सिंह पटेल को भी जगह दी जा सकती है.
बीजेपी के मिशन 2019 के लिए कर्नाटक विधानसभा सेमीफाइनल साबित होंगे. कर्नाटक चुनावों में जीत लोकसभा चुनावों में पीएम नरेंद्र मोदी को सत्ता में बनाए रखने का माहौल बनाने में सहायक होगी.
नरेंद्र मोदी को दोबारा केन्द्र में काबिज कराने के लिए रास्ता एक बार फिर उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों से ही होकर गुजरेगा. इस समय देश में बने माहौल को देखते हुए यूपी की 60 से ज्यादा सीटों को जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही है. ऐसे में केंद्र की मोदी सरकार किसी भी हाल में यूपी में कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है.
इसी कड़ी में भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह बीती अप्रैल में दो बार लखनऊ आकर यूपी में सरकार और संगठन की दशा और दिशा का जायजा लेकर जा चुके हैं. अमित शाह और पीएम नरेन्द्र मोदी के पास कई मंत्रियों के भ्रष्टाचार और नकारेपन की शिकायतें पहुँच चुकी हैं.
भाजपा के कई सांसदों ने लगाये हैं मंत्रियों पर आरोप:
प्रदेश के कई सांसद पीएम मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मिलकर यूपी के कई मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा चुके हैं. वहीँ बीजेपी के जमीनी कार्यकर्ताओं में ऐसे मंत्रियों की कार्यप्रणाली से निराशा बर चुकी है.
कई सांसदों ने इसके लिए पीएम मोदी को खुला पत्र तक दिया है. इसके अलावा दलित सांसदों में भी यूपी सरकार के प्रति असंतुष्टि हैं. जिसकी वजह से उन्होंने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है.
इन सब से भी न केवल प्रदेश सरकार की बल्कि केंद्र की भाजपा सरकार की भी किरकिरी हो रही है.
केंद्रीय नेतृत्व भी यूपी के ऐसे मंत्रियों के चलते सरकार और पार्टी की छवि धूमिल होने के चलते खासा चिंतित है.
अब देखना है कि केन्द्रीय नेतृत्व एनकाउंटर के लिए प्रसिद्ध यूपी सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार और अपनी छवि को धुलित करने वाले तत्वों का एनकाउंटर कैसे करता है.