केंद्र सरकार ने प्राइवेटाइजेशन के लिए सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक का किया चयन
केंद्र सरकार ने प्राइवेटाइजेशन के लिए सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank Of India) और इंडियन ओवरसीज बैंक (Indian Overseas Bank) का चयन किया है। केंद्र सरकार इन दोनों सरकारी बैंकों मे अपने हिस्से का विनिवेश (Disinvestment) करेगी। पहले चयण में 51 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की योजना है ।
हाल ही में नीति आयोग ने डाइवेस्टमेंट संबंधी सचिवों की कोर समिति को उन सरकारी बैंकों और बीमा कंपनी के नाम सौंप दिए हैं, जिनका डाइवेस्टमेंट प्रक्रिया के तहत मौजूदा वित्तीय वर्ष में प्राइवेटाइजेशन किया जाना है ।
इस खबर के बाद स्टॉक मार्केट में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंकों के शेयर में 20% अपर सर्किट लगा था । IOB के शेयर इस खबर के पहले 19.85 रुपये पर ट्रेड कर रहे थे जो अचानक 19.80% चढ़कर 23.60 रुपये पर पहुंच गया । वहीं सेंट्रल बैंक के शेयर 20 रुपये से 19.80% चढ़कर 24.20 रुपये पर पहुंच गया।
कानूनी जानकारों के मुताबिक, इन दोनों बैंको के प्राइवेटाइजेशन के लिए केंद्र सरकार बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट में बदलाव के साथ कुछ अन्य कानून में बदलाव करेगी जिसकी चर्चा RBI के साथ भी होगी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में दो सरकारी बैंकों और एक बीमा कंपनी के प्राइवेटाइजेशन की घोषणा की थी। सराकर ने FY22 के लिए विनिवेश के जरिये 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने की लक्ष्य रखा है। प्राइवेट होने वाले दोनों बैंक सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक की शेयर बाजार में मार्केट वैल्यू इनके शेयर प्राइस के मुताबिक, 44,000 करोड़ रुपये है। जिसमें इंडियन ओवरसीज बैंक (IOB) का मार्केट कैप 31,641 करोड़ रुपये है ।