उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में शनिवार को पुलिस ने चेकिंग के दौरान 7.5 करोड़ की नई करंसी बरामद की है, यह करंसी पौंटी चड्ढा ग्रुप के गत्ते में भरकर ले जाई जा रही थी। पुलिस द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार, दो लक्जरी गाड़ियों में यह रकम 7 गत्तों में भरकर ले जाई जा रही थी।
पुलिस कर रही है पड़ताल:
राजधानी लखनऊ में शनिवार को यूपी पुलिस ने चेकिंग के दौरान पौंटी चड्ढा ग्रुप के 7 गत्तों में से 7.5 करोड़ की नई करंसी की रकम बरामद की है। जिसके बाद पुलिस ने दोनों लक्जरी गाड़ियों समेत नई करंसी और उसमें मौजूद लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। वहीँ यूपी पुलिस ने मामले की सूचना आयकर विभाग को भी दी। हालाँकि अभी इसकी पुष्टि नहीं हो पायी है कि, यह धन काला है या सफ़ेद। सभी परिस्थितियों पर नजर डालें तो यह मामला सीधे तौर पर कालेधन का लग रहा है, वहीँ पौंटी चड्ढा ग्रुप के अधिकारियों ने मामले में बात करने से इंकार कर दिया है। गाड़ी में मौजूद लोगों के मुताबिक, पैसे को उत्तराखंड के हल्द्वानी में पहुँचाया जा रहा था।
#लखनऊ : हसनगंज इलाके से पुलिस ने चेकिंग के दौरान पौंटी चड्ढ़ा ग्रुप की गत्ते में भरकर ले जाई जा रही 7.5 करोड़ की नई करेंसी बरामद की! pic.twitter.com/QrmiOvXaQb
— UttarPradesh.ORG News (@WeUttarPradesh) May 6, 2017
कालेधन की लड़ाई में जीत रहे हैं देश के धन कुबेर:
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 8 नवम्बर 2016 को देश में 500 और 1000 के नोटों को बंद करने का एलान किया था, इस कदम को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कालेधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में उठाया गया कदम बताया था। साथ ही उन्होंने दावा किया था कि, नोटबंदी की वजह से आतंकवादियों, नक्सलवादियों और कालाधन रखने वालों की कमर टूट जाएगी। लेकिन जिस प्रकार से नोटबंदी के बाद भी बड़ी संख्या में नई करंसी कालेधन के रूप में बरामद हो रही है, उससे लगता है कि, कालेधन के कुबेर भ्रष्टाचार और कालेधन की लड़ाई में सरकार से काफी आगे हैं। देश के भीतर मौजूद कालेधन के कुबेर केंद्र सरकार, ED और आयकर विभाग की आँखों में धूल झोंकने में कामयाब हो रहे हैं।
बैंक लगा रहे प्रधानमंत्री मोदी के ‘डिजिटल इंडिया’ के सपने में पलीता:
शनिवार को पौंटी चड्ढा ग्रुप की दो लक्जरी गाड़ियों से 7.5 करोड़ रुपये की नई करंसी कालेधन के रूप में बरामद हुई है। साथ ही यह पहला मामला नहीं है जब इतनी बड़ी मात्रा में नई करंसी बरामद हुई है। जिसके बाद ऐसा कह सकते हैं कि, बैंक ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के डिजिटल इंडिया के सपने में पलीता लगा रहे हैं, खासकर वे बैंक जो पीछे के रास्ते से धनकुबेरों को बड़ी मात्रा में कालाधन मुहैया करा रहे हैं। वहीँ ऐसे मामले आयकर और ED की निष्क्रियता को भी दर्शाते हैं, जिनके नाक के नीचे ये धनकुबेर करोड़ों का खेल खेल रहे हैं।
चड्ढा ग्रुप जैसे ग्रुप्स को विशेष छूट क्यों?:
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नोटबंदी को कालेधन के खिलाफ ऐतिहासिक फैसला बताया था, यकीनन फैसला ऐतिहासिक था लेकिन पीएम मोदी के इस फैसले से भी सबसे ज्यादा तकलीफ देश के आम आदमी और गरीब वर्ग को हुई। वहीँ देश के कुछ चंद धनकुबेर बड़ी ही आसानी से बैंकों के साथ सांठ-गांठ कर अपने कालेधन को आसानी से इधर-उधर कर रहे हैं। वहीँ ऐसे मामलों के बाद कई तरह के सवाल उठने लाजिमी है कि, चड्ढा ग्रुप सरीखे धनकुबेरों को किस प्रकार से बैंकों की मदद मिल रही है? या वे कौन से बैंक हैं जो पीछे के रास्ते से इतने बड़े पैमाने पर कालाधन मुहैया करा रहे हैं। वहीँ प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग ऐसे धनकुबेरों के मामले पर आँखें मूंदे क्यों बैठे हैं?