लोकसभा चुनाव से पहले योगी सरकार ने अनुसूचित जाति को साधने के लिए बड़ा दांव खेलते हुए सहारनपुर हिंसा के आरोपित भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर उर्फ रावण से रासुका हटाने और उसे समय से पहले ही रिहा कर दिया गया। रावण की रिहाई सहारनपुर जेल से आधी रात के बाद 2:24 बजे शुक्रवार को हो गई। उसके अलावा पांच अन्य पर भी रासुका लगा था। इनमें से अनुसूचित जाति पर हिंसा के तीन आरोपितों सोनू उर्फ सोनपाल, सुधीर और विलास उर्फ राजू को छह व सात सितंबर को रिहा किया जा चुका है। जबकि दलित पक्ष के दो अन्य आरोपितों सोनू और शिव कुमार से भी रासुका हटाने का फैसला हुआ है। इन्हें भी जल्द रिहा किया जाएगा। रिहाई के समय से पहले ही रावण के समर्थक जेल के बाहर डेरा जमाये बैठे हुए थे। रावण के बाहर निकलते ही उसके समर्थकों ने जोरदार स्वागत किया। वहीं रावण ने भाजपा पर हमला बोला।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]माँ के प्रत्यावेदन पर हुई रावण की रिहाई[/penci_blockquote]
बता दें कि चंद्रशेखर उर्फ रावण की रिहाई के लिए उसकी मां की तरफ से प्रत्यावेदन दिया गया था। यूपी की योगी सरकार ने गुरुवार को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत जेल में बंद चंद्रशेखर को समय से पहले छोड़ने का फैसला किया। रासुका के तहत रावण को एक नवंबर 2018 तक जेल में रहना था। सरकार ने प्रत्यावेदन पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए उसकी समय पूर्व रिहाई का फैसला किया है। उसके साथ निरुद्ध सहारनपुर के बड़गांव के शब्बीरपुर निवासी सोनू और शिव कुमार की निरुद्धि 14 अक्टूबर 2018 तक थी। उनकी भी समयपूर्व रिहाई का फैसला लिया गया है। इस संबंध में डीएम सहारनपुर को निर्देश भेज दिए गए हैं। इसी के तहत रात 2:24 बजे चंद्रशेखर को जेल से रिहा किया गया। चंद्रशेखर को बीते साल सहारनपुर में हुई जातीय हिंसा के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]जेल से बाहर मौजूद समर्थकों ने किया मार्च[/penci_blockquote]
गौरतलब है कि भीम आर्मी का पश्चिमी यूपी में बड़ा प्रभाव है। भीम आर्मी अनुसूचित जाति आंदोलन के सहारे इस क्षेत्र में अपनी जड़ें और गहरी करना चाहती है। बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने भी स्वीकार किया है कि कैराना और नूरपुर में हुए उपचुनाव में बीजेपी की हार की एक बड़ी वजह भीम आर्मी थी। बीजेपी का मानना है कि इन इलाकों में भीम आर्मी ने अनुसूचित जाति और मुस्लिमों को एकजुट करने में सफलता पाई है। उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार के इस फैसले को 2019 के एक चुनावी दांव के रूप में भी लिया जा रहा था। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले भीम आर्मी और अनुसूचित जाति की नाराजगी को दूर करने के लिए योगी सरकार ने यह फैसला लिया। हालांकि रिहाई के तुरंत बाद चंद्रशेखर ने जिस तरह से बीजेपी पर निशाना साधा है उससे सवाल खड़ा हो रहा है कि कहीं यह दांव उल्टा न पड़ जाए। जेल से बाहर आते ही रावण के समर्थकों ने पैदल मार्च किया।
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