साल 2000 में मध्य प्रदेश से अलग होने के बाद बने छत्तीसगढ़ में चुनावी गणित लगातार बदलता रहा है। इन 18 सालों में कांग्रेस और बीजेपी के पारंपरिक वोट कम हुए हैं और हर चुनाव में स्थानीय मुद्दे हावी होते गए हैं। इस बार के विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी सहित देश के कई क्षेत्रीय दल भाजपा और कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं। इसी क्रम में राज्य में समाजवादी पार्टी को मजबूत करने के लिए अखिलेश यादव खुद कमान संभाल चुके हैं और चुनावी दौरों पर निकल चुके हैं।
कई जनसभाओं को करेंगे संबोधित :
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव 15 नवंबर को छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले पहुंचें यहाँ पर उन्होंने कोरबा जिले के “पाली तानाखार” विधानसभा क्षेत्र में अखिलेश यादव एक चुनावी जनसभा को संबोधित किया। इसके बाद अखिलेश यादव 17 नवंबर को छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में चुनावी जनसभा को संबोधित करेंगे। वे यहां दुर्ग जिले के “बैकुंठ धाम वैशाली नगर” विधानसभा में जनसभा करेंगे। दोपहर 2 बजे महासमुंद जिले के “सिकेरा जोंक बसना” में उनकी जनसभा आयोजित है।
इसके साथ ही बसपा सुप्रीमो मायावती की भी कई ताबड़तोड़ रैलियां आयोजित की गई हैं। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में यूपी के कई सियासी दिग्गज एक-दूसरे पर जमकर जुबानी बाण छोड़ेंगे और अपनी पार्टी के लिए वोट मांगेंगे।
इतिहास रचने पर भाजपा की नजर :
छत्तीसगढ़ की सत्ता पर दोबारा काबिज होने के लिए डॉ. रमन सिंह को इस बार अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित सीटों पर पिछला प्रदर्शन दोहराना होगा। 2013 में भाजपा को सत्ता में पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई थी। राज्य की 90 विधानसभा सीटों में से 10 सीटें एससी के लिए आरक्षित हैं और इन सीटों को लेकर कांग्रेस-भाजपा में जबरदस्त लड़ाई रहती है।
पिछले चुनाव में भाजपा को अनुसूचित जनजाति यानि एसटी आरक्षित सीटों पर करारा झटका लगा था। उसे 29 सीटों में से महज 11 पर ही जीत मिली थी।
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