उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रविवार सुबह रामनवमी के अवसर पर गोरखपुर पहुंचे। सीएम 9:50 बजे एयरपोर्ट पहुंचे। यहां उन्होंने गोरखपुर एयरपोर्ट से दिल्ली के लिए स्पाइसजेट की बोइंग विमान सेवा का उद्घाटन किया। उद्घाटन समारोह के दौरान एयरपोर्ट अधिकारियों के साथ ही जिलाधिकारी के विजयेंद्र पांडियन एवं एसएसपी शलभ माथुर पुलिस और प्रशासन के अफसर भी मौजूद रहे।
इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखनाथ मंदिर पहुंचेंगे। यहां वह नवमी तिथि में 11:30 बजे तक सनातन हिन्दू धर्म में प्रतिष्ठित कुंवारी कन्याओं का पूजन एवं सत्कार के अनुष्ठान को संपंन कर शक्ति मां भगवती दुर्गा की आराधना करेंगे। गोरखनाथ मंदिर पहुंच कर पूजन-अर्चन के साथ ही कन्या पूजन करेंगे। उसके बाद दोपहर 12:10 बजे लखनऊ रवाना हो जाएंगे। योगी आदित्यनाथ 3 मार्च को फिर गोरखपुर आएंगे।
उनके आगमन को लेकर प्रशासन और पुलिस महकमा शनिवार को पूरे दिन जुटा रहा। बता दें कि मां पाटेश्वरी देवी पाटन मंदिर में 18 मार्च से एक मास तक लगने वाला मेला चल रहा है। देवीपाटन मंदिर मंदिर गोरखपुर की गोरक्षपीठ के नाथ सम्प्रदाय के अखाड़े का मठ है। इसके मठाधीश स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने ट्वीट कर समस्त देशवासियों को श्री रामनवमी के महापर्व की मंगलमय शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने अपने ट्वीटर हेंडल पर लिखा कि ‘भगवान श्री राम ने हमें धर्म का अनुसरण करते हुए जीवन जीने की प्रेरणा दी है। मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में उनका जीवन हम सभी को त्याग, मर्यादाओं के पालन और कर्तव्यपरायणता की सीख देता है।’
नवरात्रि के समापन के लिए ही नवमी पूजन में हवन किया जाता है। इनके पूजन और कथा के बाद ही नवरात्रि का समापन किया जाना शुभ माना जाता है। इस दिन दुर्गासप्तशती के नवें अध्याय से मां का पूजन करें। नवरात्र में इस दिन देवी सहित उनके वाहन, सायुज यानी हथियार, योगनियों एवं अन्य देवी देवताओं के नाम से हवन करने का विधान है।
मां का स्मरण करते हुए इस मंत्र का जाप करें- सिद्धगंधर्वयक्षादौर सुरैरमरै रवि। सेव्यमाना सदाभूयात सिद्धिदा सिद्धिदायनी॥
माता दुर्गा के नौवें रूप को प्रणाम करते हुए इस स्तुति का जाप करें-
या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
मातासिद्धिदात्री की आराधना से जातक को अणिमा, महिमा, प्राप्ति, प्रकाम्य, गरिमा, लघिमा, ईशित्व और वशित्व आदि समस्त सिद्धियों एवं नवनिधियों की प्राप्ति होती है। इनकी उपासना से आर्तजनों के असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं।