अभी कुछ दिन पहले ही अखिलेश सरकार ने सरकारी इमारतों के निर्माण में काम कर रहे मजदूरों के लिए अन्नपूर्णा योजना लागू की थी। इस योजना के तहत उन मजदूरों को बेहद कम दाम में खाना उपलब्ध करवाने की बात की गई थी जो किसी सरकारी इमारत के निर्माण में लगे हुए है। अन्नपूर्णा योजना के अन्तर्गत ये दावा किया गया था कि इस योजना के जरिये उन तमाम मजदूरों को फायदा पहुंचाया जायेगा जो पैसो के अभाव में दूषित भोजन करने के लिए मजबूर है।
हाल ही में मिली खबर के अनुसार लखनऊ की विधानसभा के सामने बन रहे सीएम आवास के निर्माण में काम कर रहे नये मजदूरो को इस योजना का लाभ नही मिल पा रहा है। ये मजदूर अब भी बाहर का खाना खाने के लिए मजबूर है। उत्तर प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी दीपल सिंघल ने जब इस निर्माणाधीन सीएम आवास का दौरा किया तो उन्हे कई ऐसे मजदूर दिखाई दिये जिन्हे अन्नपूर्णा योजना के तहत खाना नही मिल रहा है। दीपक सिंघल ने जब इन मजदूरों से बात की तो मजदूरों ने बताया कि वो रोज अपना खाना या तो अपने साथ लाते है या उन्हे बाहर से खरीदना पड़ता है।
सरकारी खाने से वंजित रहने वाले इन मजदूरों का कसूर बस इतना है कि इन्होंने अभी तक अन्नपूर्णा योजना के तहत अपना रजिस्ट्रेशन नही करवाया है, लेकिन क्या केवल इतनी बात पर इन्हे खाना नही देना जायज है। अन्नपूर्णा योजना क्या केवल उन्ही मजदूरों के लिए है जो काफी समय से सरकारी इमारतो के निर्माण कार्य में लगे हुए है। ये वो सवाल है जिनका सवाल अखिलेश सरकार से पूछना उत्तर प्रदेश की जनता की जिम्मेदारी है।