देश में हर साल, 55,000 महिलाओं की गर्भावस्था संबंधी कारणों से मौत हो जाती है। रिपोर्ट के मुताबिक यह मौतें गरीब महिलाओं में बच्चे के जन्म या जन्म से पूर्व में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, संक्रमण, बीमारी,कुपोषण और भूख से बढ़ रहीं हैं। रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश सहित देश के कई राज्यों में दूसरे प्रदेशों के आदिवासी, बांग्लादेशी और गरीब मजदूर काम करने के लिए महिलाओं को अपने साथ ले जाते हैं। वह ही महिलाएं अधिकतर जन्म के समय मौत की शिकार हो रही हैं।
प्रधानमंत्री का योजना का मिल रहा लाभ
- मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) के अनुसार 100,000 प्रति जीवित लोगों में बच्चे के जन्म के समय साल 2007 में 212 थी जो गिरकर 2013 में 167 रह गई।
- मृत्यु दर में कमी आई है लेकिन फिर भी बच्चे को जन्म देने के समय अब भी कई महिलाओं की मौत हो रही है।
- आंकड़ों के मुताबिक, भारत भर में मातृ मृत्यु दर असम, बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक है।
- इससे निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो सप्ताह पहले ही देश भर के 687 जिलों में मुक्त प्रसव पूर्व प्रदान करने के लिए ‘प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान’ का शुभारंभ किया।
- इसके तहत भारत के सभी जिलों में सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों में हर महीने की 9 तारीख को बच्चे के जन्म से पहले गर्भवती महिलाओं के लिए देखभाल की जा रही है।
- वहीं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के प्रमुख ‘जननी सुरक्षा योजना’ (जेएसवाई) के तहत भी सभी गर्भवती महिलाओं के लिए एक भौतिक और पेट की जांच के बाद, एक टिटनेस का टीका और 100 लौह फोलिक एसिड की गोलियां दी जा रहीं हैं।
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