भदोही:-हिंदू धर्म में कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार बहुत धुमधाम से मनाया जाता है। भगवान विष्णु ने द्वापर युग भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को देवकी की कोख से कृष्ण रूप में जन्म लिया था। इस उपलक्ष्य में भक्त उपवास रखते हैं, मंगल गीत गाते हैं और मध्यरात्रि को भक्त नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की गाने के साथ भगवान का जन्म करते हैं। इसके बाद विधि-विधान के साथ पूजा करते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि जन्माष्टमी की पूजा में अगर भक्त कृष्ण की प्यारी चीजों को शामिल करते हैं तो सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
जन्माष्टमी पर बच्चे राधा-कृष्ण के रंग में रंगे नजर आए। कोरोना के कारण इस बार बच्चों ने घरों में ही रहकर जन्माष्टमी मनाई। माता-पिता ने घर में ही पूजा-अर्चना की और छोटे बच्चों को राधा-कृष्ण की पोशाक पहनायी।
देश मे कुछ ऐसे पर्व होते है जिसमे बच्चे खूब आनंद लेते है। वैसे तो सभी पर्वों पर बच्चे आनंद लेते है लेकिन कुछ खास पर्व है जो बच्चों के आनंद का एक अलग नजरिया होती है उन्ही में से है कृष्ण जन्माष्टमी इस पर्व पर मंदिर तो सजाया जाता है। साथ साथ घरों में भी सजाने के साथ साथ पालन हार प्रभु श्री कृष्ण के जन्म पर खूब मजा मारते है बच्चे नगर व गांवों में बच्चों द्वारा सालों से इंतजार के बाद जब ये पल आता है तो बच्चे फुले नही समाते है और अपनी इच्छाओं को जागृत करते हुए स्वयं को श्री कृष्ण का रूप धारण कर लेते है।
डेरवॉ गांव निवासी ज्योति अकिंत पाडेंय बतायी की हम इस साल अपनी बेटी इमोंन पाडेंय कों घर पर ही उसे मंदिर बना कर उसे कृष्ण का पोशाक पहना कर कृष्ण की कहानी सुनाई
इनपुट…अनंत देव पाडेंय