भूख-प्यास से तड़पकर दम तोड़ रहे अन्ना गोवंश, हत्याओं का कौन जिम्मेदार? चित्रकूट जिले के रामनगर विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत छीबों [ Chhibon Gaushala Chitrakoot ] में स्थित गौशाला, जहां गोवंशों को सुरक्षित रखने के लिए बनाई गई थी, अब उनके लिए मौत की कब्रगाह बन गई है। इस गौशाला में भूख, प्यास और प्रशासनिक लापरवाही के कारण गोवंशों की लगातार दर्दनाक मौतें हो रही हैं। स्थानीय ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि जिम्मेदार अधिकारी और प्रशासन इस अमानवीय कृत्य पर आंखें मूंदे बैठे हैं।
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गौशाला में गोवंशों की दर्दनाक मौतें – कौन है जिम्मेदार? [ Chhibon Gaushala Chitrakoot ]
छीबों गांव की इस गौशाला में कई गोवंश भूख-प्यास से तड़प-तड़प कर दम तोड़ चुके हैं। मृत गायों और बैलों के शव गौशाला परिसर में ही सड़ रहे हैं, जिससे भयंकर दुर्गंध और बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।
ग्रामीणों का आरोप – प्रशासन की घोर लापरवाही [ Chhibon Gaushala Chitrakoot ]
ग्रामीणों और पशुप्रेमियों का कहना है कि:
✔ गौशाला में पर्याप्त चारा-पानी की व्यवस्था नहीं की गई।
✔ बीमार और कमजोर गोवंशों का इलाज करने के लिए कोई पशु चिकित्सक उपलब्ध नहीं।
✔ जिम्मेदार अधिकारी और प्रशासन गौशाला का निरीक्षण तक नहीं कर रहे।
✔ मरे हुए गोवंशों को हटाने के बजाय खुले में छोड़ दिया गया, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ गया।
स्थानीय लोगों ने प्रशासन से कई बार शिकायत की, लेकिन उनकी गुहार अनसुनी कर दी गई।
क्या गोवंशों के हत्यारों के आगे नतमस्तक हुए जिम्मेदार?
छीबों गांव की गौशाला में हो रही गोवंशों की दर्दनाक मौतों ने प्रशासन और शासन की संवेदनहीनता को उजागर कर दिया है। सरकार द्वारा करोड़ों रुपये गौशालाओं के रखरखाव के लिए आवंटित किए जाते हैं, लेकिन फिर भी गोवंशों की दुर्दशा जस की तस बनी हुई है।
सरकारी दावों की पोल खुली
➡ गोवंश संरक्षण के नाम पर लाखों रुपये जारी किए जाते हैं, लेकिन गौशाला की दुर्दशा देखकर कहीं भी इन पैसों का सही उपयोग होता नहीं दिखता।
➡ गौशाला में रखे गए गोवंशों को मात्र कुछ दिनों तक चारा-पानी दिया गया और फिर उन्हें राम भरोसे छोड़ दिया गया।
➡ स्थानीय प्रशासन ने अपनी नाकामी छिपाने के लिए इन मौतों पर पर्दा डालने की कोशिश की।
प्रशासन से मांग – दोषियों पर हो सख्त कार्रवाई
ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रशासन से मांग की है कि:
✔ गौशाला में उचित मात्रा में चारा और पानी की आपूर्ति की जाए।
✔ बीमार और कमजोर गोवंशों के लिए पशु चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
✔ गौशाला की निगरानी के लिए एक स्वतंत्र समिति का गठन किया जाए।
✔ इस अमानवीय लापरवाही के लिए दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।