वैसे तो आपने हमेशा से किताबों में भारत में बसने वाले आदिवासी जीवन के बारे में पढ़ा होगा. परंतु आपको ऐसे निशान अगर देखने को मिल जाये तो यकीनन आपको अपनी आँखों पर विश्वास नहीं होगा. ऐसा ही एक मामला उत्तरप्रदेश के चित्रकूट स्थित मानिकपुर से आ रहा है जहाँ खोज-बीन किये जाने पर किसी पुरानी सभ्यता के चिन्ह सामने आये हैं.
यह धरोहर इतिहास के कालखंडों के रहस्यों को गर्भ में है छिपाए :
- मानिकपुर के सरहट नामक स्थान पर प्राचीनतम शैलचित्र भारी संख्या में मौजूद हैं.
- आपकोे बता दें कि यह तीस हजार साल पुरानी धरोहर बताई जाती है.
- यहां बिखरीं पड़ीं धरोहरें इतिहास के कालखंडों के रहस्यों को अपने गर्भ में छिपाए हैं.
- परंतु संरक्षण के अभाव में यह जीवंत दस्तावेज विलुप्त होने के कगार पर है.
- इतिहासविदों के अनुसार शैलचित्रों के आरंभ को ईसा पूर्व से ही जोड़ा जाता है.
- यह देखना आश्चर्यजनक है कि इन पेंटिंग्स में जो रंग भरे गए थे वे कई युगों बाद अभी तक वैसे ही बने हुए हैं.
- इन पेंटिंग्स में आमतौर पर प्राकृतिक लाल ,गेरुआ और सफेद रंगों का प्रयोग किया गया है.
- बताया जा रहा है कि यहाँ की दीवारें धार्मिक संकेतों से सजी हुई है,
- जो पूर्व ऐतिहासिक कलाकारों के बीच लोकप्रिय थे.
- इस प्रकार भीम बैठका के प्राचीन मानव के संज्ञानात्मक विकास का कालक्रम विश्व के अन्य प्राचीन समानांतर स्थलों से हजारों वर्ष पूर्व हुआ था.
- इस प्रकार से यह स्थल मानव विकास का आरंभिक स्थान भी माना जा सकता है.
- इन शैलचित्रों में दैनिक जीवन की घटनाओं से लिए गए विषय अंकित हैं.
- आपको बता दें कि यह हज़ारों वर्ष पहले का जीवन दर्शाते हैं.
- यहाँ बनाए गए चित्र मुख्यतः नृत्य, संगीत, आखेट, घोड़ों और हाथियों की सवारी,
- साथ ही आभूषणों को सजाने तथा शहद जमा करने के बारे में हैं.
- आपको बता दें कि ऐसे ही शैलचित्र भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त के रायसेन जिले में भी स्थित है.
- इस स्थान को भीमबैटका के नाम से जाना जाता है.
- यह एक पुरापाषाणिक आवासीय पुरास्थल है.
- जो आदि-मानव द्वारा बनाये गए शैल चित्रों और शैलाश्रयों के लिए प्रसिद्ध है.
- इन चित्रो को पुरापाषाण काल से मध्यपाषाण काल के समय का माना जाता है.
- आपको बता दें कि यह भारत में मानव जीवन के प्राचीनतम चिह्न हैं.
- ऐसा माना जाता है कि यह स्थान महाभारत के चरित्र भीम से संबन्धित है.
- इसके साथ ही इसी से इसका नाम भीमबैठका पड़ा.
- ये गुफाएँ मध्य भारत के पठार के दक्षिणी किनारे पर स्थित विन्ध्याचल की पहाड़ियों के निचले छोर पर हैं.
सौजन्य : अनुज हनुमंत सत्यार्थी