हज़रत इमाम हुसैन के ग़म के आख़िरी दिन इमामबाड़ा नाज़िम साहेब से चुप ताजिये का जुलूस अक़ीदत और एहतराम के साथ ग़मगीन माहौल में निकाला गया। जिस तरह से शाही ज़री के जुलूस को मोहर्रम का आगाज़ माना जाता है। उसी तरह से चुप ताजिये को मुहर्रम के ख़त्म होने का ऐलान माना जाता है। चुप ताजिये का जुलूस सुबह की नमाज़ के बाद नाज़िम साहब के इमामबाडे से शुरू हुआ जो अपने तय रास्तों से होता हुआ रौज़ा-ए-काज़मैन पहुँच के समाप्त हुआ। जुलूस के पूर्व अलविदाई मजलिस को मौलाना यासूब अब्बास ने ख़िताब किया।
कर्बला के शहीदों के गम में निकाला जाता है जुलूस
- कर्बला के शहीदों के गम में 2 महीने 8 दिन बाद मनाया जाने वाला मोहर्रम मंगलवार को चुप ताजिए का जुलूस के साथ पूरा हो गया।
- नाजिम साहब इमामबाड़े के सुबह की नमाज के बाद निकाले गए जुलूस में लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा।
- जुलूस रौजा-ए-काज़मैन में जाकर संपन्न हुआ।
- उधर जिला प्रशासन ने इसकी सुरक्षा के लिए कमर कसी हुई थी।
- जुलूस को लेकर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे।
इन रास्तों से गुजरा चुप ताजिये का जुलूस
- चौक के विक्टोरिया स्ट्रीट स्थित नाजिम साहब के इमामबाड़े में सुबह की नमाज के बाद मजलिस को मौलाना मिर्जा मोहम्मद अशफाक ने संबोधित किया।
- इसके बाद इमामबाड़े से चुप ताजिया का जुलूस निकाला गया।
- जुलूस नक्खास, टुड़ियागंज, अशरफाबाद, गिरधारी सिंह इंटर कॉलेज, मंसूर नगर तिराहा होता हुआ शियायातीम खाने के सामने से रौजा-ए-काज़मैन पहुंचा।
- जुलूस में शामिल तबर्रुक आपकी अकीदतमंदों ने जियारत कराई।
- इसके बाद रौजा-ए-काज़मैन में ताजियों को सुपुर्द-ए-खाक किया गया।