उत्तर प्रदेश हमेशा से सैलानियों के लिए आकर्षण का केन्द्र रहा है। जिसकी वजह है यहाँ के अनेक दर्शनीय स्थल। इन दर्शनीय स्थलों में से एक है, शिव की नगरी ‘बनारस’। बनारस उत्तर प्रदेश का एक महत्वपूर्ण शहर है, जो अपने अंदर तमाम रंग समेटे है। बनारस शहर गंगा नदी के तट पर बसा हुआ है। बनारस को वाराणसी भी कहा जाता है, जो नाम इसे यहाँ की मुख्य धारा ‘वरुणा’ तथा उसकी सहायक धारा ‘असी’ के नाम पर दिया गया है।
प्राचीन इतिहास:
हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार बनारस को भगवान शिव ने बसाया था। हिन्दू धर्म के सबसे बड़े ग्रंथों में से एक ‘महाभारत’ में भी ये कहा गया है, कि पांडव महाभारत के युद्ध के बाद भगवान शिव को ढूंढते हुए यहाँ आये थे, ताकि वे उन्हें उनके भाइयों के साथ घात तथा ब्रम्हहत्या के पाप से मुक्त कर सकें। यह शहर अपने आप में अनोखा है, केनेथ फ्लेचर के अनुसार यहाँ ऐसी कई जगह मौजूद हैं जिन्हें करीब 11वी से 12वी सदी ईसा पूर्व बनाया गया था।
मुख्य आकर्षण:
जंतर-मंतर: जंतर-मंतर ऑब्जर्वेटरी को 1737 में बनवाया गया था। जो गंगा नदी के किनारे घाटों के ऊपर स्थित है।
रामनगर किला: रामनगर के किले को काशी नरेश रजा बलवंत सिंह ने बनवाया था। यह किला गंगा नदी के पूर्वी किनारे के निकट तुलसी घाट के सामने स्थित है, इसे 18वी सदी में बनवाया गया था। बलुआ पत्थरों से बना ये किला शानदार है।
घाट ही घाट: बनारस शहर अपने रमणीय घाटों के लिए देश-विदेश में जाना जाता है। बनारस शहर के अंदर कुल 84 घाट हैं, जिनमें से दशाश्वमेध घाट, मणिकर्णिका घाट, पंचगंगा घाट तथा हरिश्चंद्र घाट कुछ नाम हैं।
मंदिर: बनारस शहर के अंदर 23000 मंदिर हैं, जिनमें से प्रमुख आकर्षण भगवान शिव का काशी विश्वनाथ का मंदिर, संकट मोचन हनुमान मंदिर तथा दुर्गा मंदिर हैं।
कैसे पहुंचे?
बनारस शहर में देश के हर हिस्से से आसानी से पहुंचा जा सकता है, यह भारत के सभी प्रमुख शहरों से हवाई,रेल तथा सड़क यातायात से जुड़ा हुआ है। शहर के अंदर टैक्सी, रिक्शा तथा तीन पहिया वाहनों से शहर के किसी भी हिस्से में जाया जा सकता है।