राजकीय स्कूलों के स्टूडेंट्स को स्मार्ट क्लासेज सहित अन्य सुविधाएं देने के लिए शुरू की गई क्लीन स्कूल-ग्रीन स्कूल योजना में विभाग के कुछ जिम्मेदारों ने जमकर खेल किया। सात राजकीय स्कूलों को स्मार्ट बनाने के एवज में साढ़े तीन करोड़ रुपए (प्रति विद्यालय 50 लाख) खर्च किए गए लेकिन काम के नाम पर न तो स्मार्ट क्लासेज शुरू हो पाईं और न ही स्टूडेंट्स को कोई सुविधा मिली।
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घटिया क्वॉलिटी के सामान की हुई खरीद
- क्लीन स्कूल-ग्रीन स्कूल योजना में विभाग के कुछ जिम्मेदारों ने जमकर खेल किया।
- पिछले महीने डीआईओएस डॉ. मुकेश कुमार सिंह की जांच में इस घोटाले का खुलासा हुआ।
- लिहाजा उन्होंने आगे की कार्रवाई के लिए माध्यमिक शिक्षा निदेशक को जांच रिपोर्ट के साथ पत्रावली भेज दी।
- बावजूद इसके अब तक न तो किसी पर कोई कार्रवाई की गयी है।
- और न ही डीआईओएस को आगे का मार्गदर्शन मिला है।
- क्लीन स्कूल-ग्रीन स्कूल योजना में चयनित कई राजकीय इंटर कॉलेजों में कार्यदायी संस्था ने स्मार्ट स्कूल के नाम पर जमकर खेल किया।
- राजकीय जुबिली इंटर कॉलेज हो या राजकीय इंटर कॉलेज हुसैनाबाद कहीं स्मार्ट क्लासेज नहीं शुरू हुईं।
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- बीते दिनों अपर मुख्य सचिव संजय अग्रवाल ने राजकीय बालिका इंटर कॉलेज गोमती नगर का औचक निरीक्षण किया था।
- औचक निरीक्षण के दौरान वहां भी स्मार्ट क्लास नहीं चलती मिली थी।
- विभागीय जानकारों की मानें तो इस योजना के अंतर्गत लैब के लिए स्कूलों में जो कुर्सियां आई हैं वो घटिया क्वॉलिटी की हैं।
- डीआईओएस डॉ. मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि इस योजना में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है।
- इस योजना के लिए जितना पैसा आया, उस हिसाब से खर्च नहीं हुआ है।
- इसका खुलासा होने के बाद मैंने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को रिपोर्ट भेजकर आगे की कार्रवाई के लिए मार्गदर्शन मांगा था।
- लेकिन अभी कोई निर्देश नहीं आया। ऐसे में क्लीन स्कूल-ग्रीन स्कूल में घोटाले की जांच अभी भी लटकी ही है।
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