सर्व शिक्षा अभियान की धज्जिया खुद शिक्षक ही उड़ा रहे है। उत्तर प्रदेश के कानपुर में फिर खुली सर्व शिक्षा अभियान की पोल, बच्चो के हाथों में शिक्षकों ने पकड़ाई झाड़ू । प्रदेश में योगी सरकार सर्व शिक्षा अभियान के लिए प्रदेश में बच्चों को साक्षर बनाने के लिए तमाम योजनायेे चला रही हो लेकिन कानपुर में सर्व शिक्षा अभियान की धज्जिया खुले आम उड रही है।

खुद शिक्षक फेर रहे पानी योगी सरकार के अभियान पर

  • मासूम बच्चो के हाथों में कॉपी ,पेन ना होकर पकड़ाई जा रही है झाड़ू।
  • धृतराष्ट्र बना बैठा है शिक्षा विभाग।  
  • कानपुर के चौबेपुर इलाके में मौजूद है प्राइमरी विद्यालय।
  • प्राइमरी विद्यालय में पढ़ने बाले बच्चो के बेहतर भविष्य की जिम्मेदारी इन शिक्षक के ऊपर है।
  • लेकिन क्या है इन बच्चों का भविष्य।
  • इनके हाथो में झाड़ू पकड़वाकर स्कूल में सफाई करवाई जा रही है।
  • ऐसे में क्या बच्चो का बेहतर भविष्य की उम्मीद करना बेईमानी नही है।
  • क्या ये शिक्षक अपने बच्चों से झाड़ू नही लगवाते।
  • हालांकि इन भविष्य बनाने बाले ठेकेदार सफाई कर्मियों का अभाव बता अपना पल्ला झाड़ रहे है।
  • वही जब मीडिया ने खंड शिक्षा अधिकारी को अवगत कराया।
  • उनका कहना था कि आपके द्वारा यह मामला संज्ञान में आया है।
  • आरोपी शिक्षकों को नोटिस जारी की जाएगी और दोषी होने पर उनके विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी।
  • देवेंद्र पटेल है खंड शिक्षाअधिकारी जिनके द्वारा कारवाही का आश्वासन दिया गया है।

प्रदेश में सर्व शिक्षा अभियान फेल होता दिखाई पढ़ रहा हैं 

  • शिक्षा के अधिकार कानून का यह नारा ‘हर बच्चा पढ़े, आगे बढ़े’ मेवात में पूरी तरह से फलीभूत होता नजर नहीं आ रहा है।
  • स्थिति यह है कि स्कूलों में जहा अध्यापकों की भारी कमी है।
  • वहीं मेवात जिले में चल रहे सौ से अधिक ईट भट्टों पर काम करने वाले नौनिहालों तक सरकार की कोई योजना उन्हें क,ख,ग नहीं पढ़ा पा रही है।
  • ऐसे में शिक्षा के अधिकार कानून की धज्जिया उड़ रही है।
  • गरीब-मजदूरों के बच्चे शिक्षा से वंचित है।
  • कई साल पहले सरकार ने ऐसे बच्चों को पढ़ाने के लिए भट्टा पाठशाला शुरू की थी।
  • काबिले गौर है कि मेवात में सौ से अधिक ईट भट्टे हैं।
  • इन भट्टों पर हर वर्ष राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश व बंगाल से हजारो लोग आते है।
  • साल में सात-आठ महीने मजदूरी करने के लिए आते है।
  • इन गरीब-मजदूरों के साथ उनके बच्चे भी होते है।
  • उन बच्चों की पढ़ाई के लिए कहीं पर भी कोई स्कूल नहीं है।
  • लिहाजा ये बच्चे यहा बाल मजदूरी करने में जुटे हुए है।
  • ऐसे बच्चों को शिक्षित करने के लिए प्रत्येक वर्ष ईट भट्टों पर सर्व शिक्षा अभियान द्वारा भट्टा पाठशालाएं चलाई जाती हैं।
  • ये पाठशालाएं जनवरी से शुरू होती और तब तक चलती जब तक यहा से लोग अपने प्रदेशों को वापसी होते।
  • 25 बच्चों पर नियुक्त एक स्वयं सेवक उन बच्चों को चार घटे पढ़ाएगा।
  • सर्वशिक्षा अभियान द्वारा ऐसे बच्चों को पाठयक्रम सामग्री मुफ्त दी गई है।
  • स्वयं सेवक को भी टाटपट्टी, ब्लैक बोर्ड, कुर्सी, दरी आदि मुहैया कराई गई है।
  • लेकिन उच्च अधिकारियों की अनदेखी के चलते पिछले तीन वर्ष से यहा ये पाठशालाएं नहीं चलाई जा रही है।
  • लिहाजा भट्टों पर काम करने वाले मजदूरों के नौनिहाल सरकार की इस योजना से दूर है और गरीबी के कारण बाल मजदूरी में जुटे हुए है।
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