उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बढ़ते कदम को थामने के लिए कांग्रेस ने 2019 के युद्ध के लिए तैयार अपना ब्रम्हास्त्र समय से पहले ही बाहर निकाल लिया है। भाजपा को विधान सभा चुनाव 2017 में हराने के लिए राहुल गांधी और सोनिया गांधी ने अपने चाणक्य प्रशांत किशोर के प्लान (313+90) सीट पर सहमत हो गए हैं। पीके चाहते हैं कि प्रियंका गांधी यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल के साथ संयुक्त रूप से प्रचार करें।
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इसी तरह राहुल और सीएम अखिलेश भी दोनों मिलकर रैली करें। अखिलेश और राहुल में सीटों के बंटवारे को लेकर पिछले तीन महीनों से लगातार बातचीत चल रही है। गठबंधन की हवाएं भी तेज हो रही हैं लेकिन समाजवादी परिवार विवाद के तूफान के आगे यह हवाएं फीकी पड़ी हुई हैं।
पीके के सुझाव पर अखिलेश बने राहुल ओर बढ़ाया हाथ
- पिछले दिनों हुए सपा में घमासान के दौरान अखिलेश ने प्रशांत किशोर के साथ एक मीटिंग की थी।
- इसके बाद अखिलेश ने राहुल के साथ गठबंधन के लिए हाथ बढ़ा लिया है।
- कांग्रेस यूपी में अपनी खोई हुई अपनी जमीन हासिल नहीं कर पा रही है।
- कांग्रेस में यूपी की कमान राजबब्बर संभाले हुए हैं।
- वहीं दिल्ली की करारी हार के बाद शीला दीक्षित की भी यूपी में कोई खास जगह नहीं है।
- राजनीतिज्ञों का मनना है कि यूपी की जमीनी हकीकत में सपा से मजबूत चुनाव बसपा लड़ेगी।
- सपा का निर्णायक वोट बसपा की तरफ चला गया है।
- इस चुनाव में सबसे अधिक नुकसान प्रियंका गांधी की छवि को होने वाला है।
- बता दें कि प्रियंका गांधी केवल अमेठी और रायबरेली में ही चुनाव प्रचार के लिए जाती रही हैं।
- अगर पूरे यूपी में चुनाव प्रचार के लिए प्रियंका जाती हैं तो स्टार चेहरा वही बन जाएंगी।
- अगर सपा-कांग्रेस गठबंधन चुनाव नहीं जीता तो 2019 में राहुल को पीएम बनाने के लिए प्रियंका की जंग फीकी पड़ जाएगी।