ताज महल के निर्माण की तिथि को दिखया 1609 सन में। जबकि 1653 में हुआ था निर्माण। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ताजमहल के आसपास विश्वस्तरीय सुविधाए और परिदृष्य तैयार करने के लिए ताजगंज प्रोजेक्ट शुरू करवाया। जिससे देशी विदेशी पर्यटक आकर्षित हो सके।
अधिकारियों ने बदल ही दिया ताजमहल का इतिहास :
- लेकिन अखिलेश यादव के इसी ड्रीम प्रोजेक्ट में जगह जगह लगाये गए लाल पत्थर के साइनेज पर अंकित ताज का गलत इतिहास पर्यटकों को भ्रमित कर रहा है।
- इन साइनेज में ताजमहल के निर्माण की गलत तारीख और अन्य गलत जानकारिया लिखी गयी है।
- हालांकि विभाग ने प्रोजेक्ट के अनतर्गत इन साइनेज को लगाने वाली कंपनी से स्पष्टीकरण माँगा है।
- 197 करोड़ की लागत से निर्मित, ताजगंज परियोजना मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजना में से एक है।
- परियोजना के तहत 15 मलिन बस्तियों और ताजमहल के आसपास के क्षेत्रों में सफाई करवाई गई है।
- जबकि स्मारक के 500 मीटर के दायरे में सड़कों को कोलतार के बजाय लाल बलुआ पत्थर में बनाया गया है ।
- पूर्वी गेट पर लगे लाल पत्थर के साइनेज पर ताजमहल के बनाए जाने का वर्ष ही बदल दिया गया है।
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- ताज का निर्माण 1631 से शुरू होकर 1653 में पूरा हुआ था।
- जबकि इस साइनेज के मुताबिक़ 1609 में ताज बनाया गया था।
- वहीँ शाहजहाँ का मुमताज से निकाह 1612 में हुआ था और 1631 में ही मुमताज का इंतकाल हुआ था।
- साथ ही साथ 1631 में शाहजहाँ को राजगद्दी मिली थी।
क्या है ताजमहल का नया इतिहास ?
- इस साइनेज में लिखा है की ताज पर २२ अलग-अलग पवित्र कुरान के सुरा या गुम्बद पर अंकित छंद है।
- जबकि पवित्र कुरान में सुरा एक अध्याय होता है और आयत एक कविता।
- लेकिन विभिन्न साइनेज में सूरा और आयतो को आपस में बदल दिया गया है।
- ताजमहल के इतिहास के साथ काम करते हुए बहुत ख्याल रखा जाना चाहिए।
- यह मुद्दा और अधिक संवेदनशील हो जाता है जब यह ताज से संबंधित हो।
- लाखो देशी विदेशी पर्यटक हर साल ताज दीदार को आते है।
- ऐसे में उनके आगे ताज का गलत इतिहास परोसा जाना देश की छवि को धूमिल करता है।
- वहीँ परियोजना अधिकारी दिलीप सिंह ने बताया कि इसकी जांच करवाई जा रही है।
- और जल्द इन साइनेज को बदल दिया जाएगा .हालांकि इस लापरवाही को बरतने पर वो चुप्पी साध गए।