मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पॉवर कार्पोरेशन से नाराज हैं इसका कारण ये है कि मध्यांचल विद्युत वितरण लिमिटेड के 21 जिलों में सौभाग्य योजना के तहत 40 लाख कनेक्शन होने थे। यह काम दिसंबर 2018 तक पूरा करवाना था । तय अवधि को डेढ़ महीने से भी कम समय बचा है लेकिन अब भी 14 लाख कनेक्शन देना बाकी है। अधिकारियों लापरवाही की वजह से सरकार की महत्वाकांक्षी योजना का लाभ ग्रामीण उपभोक्ताओं को नहीं मिल रहा है। इस संबंध में मध्यांचल के एमडी संजय गोयल ने कहा कि काम में तेजी लाई गई है। अधिकारियों से इसको लेकर लगातार चर्चा चल रही है। उम्मीद है हम सभी काम समय से पूरा कर लेंगे।
तय समय पर काम नहीं करने वाले इंजिनियर अब इसकी नई तोड़ निकालने की तैयारी कर रहे है। इसमें अब इन जिलों में टारगेट कम करने की पहल की जा रही है। लखनऊ जिले में पहले 88 हजार कनेक्शन होने थे लेकिन अब लक्ष्य संशोधित कर इसे 82 हजार कर दिया गया है। इस लक्ष्य के सापेक्ष अभी तक केवल 65 हजार कनेक्शन ही हुए हैं। लक्ष्य कम करने के पीछे गणित यह है कि अगले सप्ताह सीएम योगी आदित्यनाथ की ओर से योजना की समीक्षा बैठक हो रही है और इसमें बेहतर आंकड़ों के साथ वाहवाही मिल सके। स्थिति यह है कि इन जिलों में जिन कंपनियों को काम दिया गया है। उनको सब वेंडर भी नहीं मिल पा रहे है। इसके पीछे का कारण बताया जा रहा है कि उन वेंडरों को समय पर भुगतान नहीं हो रहा है। इसकी आए दिन शिकायत होने के साथ बिजली विभाग कार्यालयों में हंगामा होता है।
कॉरपोरेशन के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि पिछले सप्ताह मध्याचंल एमडी संजय गोयल ने समीक्षा बैठक में योजना का काम जल्द काम पूरा करने का निर्देश दिया और अधिकारियों को फटकार भी लगाई। आंकड़ों के अनुसार बलरामपुर, लखीमपुर खीरी, हरदोई और बहराइच समेत कई जिलों में 40 से लेकर 60 हजार तक लोगों को सौभाग्य योजना में कनेक्शन देने थे लेकिन इन जिलों में पचास फीसदी काम भी पूरे नहीं हो पाया है। इसको लेकर ऊर्जा मंत्री की बैठक में भी यहां से जुड़े लोगों को फटकार लगाई जा चुकी है। बावजूद इसके काम तेज नहीं हो पा रहा है। उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा सवाल करते हैं कि एक साल से ज्यादा समय में जब 26 लाख कनेक्शन दिए गए हैं तो भी कई जगह अभी तक मीटर लगाने से लेकर कई कागजी काम तक नहीं हो पाया है। ऐेसे में बड़ा सवाल है कि 45 दिन में 14 लाख कनेक्शन विभाग के लोग कैसे दे पाएंगे।
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