गाजीपुर: उत्तर प्रदेश सरकार ने सूबे के सभी जनपदों में सरकार के विकास कार्यों पर नजर रखने के लिए शासन स्तर से प्रभारी नोडल अधिकारी की नियुक्ति की है. इसी क्रम में परिवहन आयुक्त पी गुरू प्रसाद दो दिवसीय गाजीपुर जनपद के दौरे पर आये हुये हैं. इस दौरान सोमवार 24 सितम्बर को उन्होंने स्वास्थ्य केन्द्र करण्डा पहुँच कर सघन दौरे किया. लेकिन उनके इस दौरे के बाद ही सीएमओ एवं डॉक्टर भीड़ गए.
ये है पूरा मामला-
- परिवहन आयुक्त पी गुरू प्रसाद दो दिवसीय गाजीपुर जनपद के दौरे पर आये हुये हैं.
- इस दौरान उन्होंने चाड़ीपुर गाँव का दौरा करने के बाद वो स्वास्थ्य केन्द्र करण्डा पहुँचे.
- जहाँ उन्हें भवन निर्माण में कई कमियां मिलीं.
- वहीँ स्वास्थ्य केन्द्र में भी उन्हें मरीजों को मिलने वाली निशुल्क दवाओं की भारी कमी नज़र आई.
- इस दौरान उन्हें स्वास्थ्य केन्द्र में तैनात डाक्टर के नियमित नहीं आने की शिकायत भी मिली.
- जिसके बाद उन्होंने रजिस्टर की भी जांच की.
- बता दें कि इस रजिस्टर में डाक्टर को नियमित रूप से प्रतिदिन 250 से 300 मरीज देंखने की दर्ज की गई थी.
- जिसे देखने के बाद उन्होंने उक्त रजिस्टर को प्रथम दृष्टया फर्जी माना.
- उन्होंने कहा कि जब डाक्टर नियमित नहीं आता है तो वह नियमित रूप से प्रतिदिन 250 से 300 मरीज कैसे देखता है.
- इस दौरान उन्होंने अस्पताल में दवाओं की कमी की बात भी अधिकारी को बतायी.
CMO को नागवार गुजरी नोडल अधिकारी की बात-
- बता दें कि नोडल अधिकारी की यह बात सीएमओ गिरीशचन्द्र मौर्या को बेहद नागवार गुजरी.
- ऐसे में परिवहन आयुक्त के कैम्पस से बाहर जाते ही CMO डाक्टर इमरान अहमद सिद्दिकी से भिड़ गये.
- इस दौरान वो डाक्टर को अपने पाकेट पैसा निकालकर देने लगे कि इन पैसों से दवा मंगाओ.
- इसके साथ ही उन्होंने डॉक्टर को नियमित अस्पताल आने की बात भी कही.
- उन्होंने डॉक्टर से कहा कि तुमलोग के चलते हमलोगों को जलील होना पड़ता है.
- उनकी नोक झोंक को स्थानीय ग्रामीणों ने भी देखा.
- जब इस घटना के बाबत प्रभारी अधिकारी पी गुरू प्रसाद से पूछा गया तो उन्होंने इससे अनिभिज्ञता जाहिर की.
- उन्होंने बताया कि यहाँ सीएचसी की बिल्डिंग काफी दिनों से बनकर तैयार है.
- मगर अभी यहाँ पीएचसी के रूप में अस्पताल संचालित किया जा रहा है.
- जिसके लिये आवश्यक निर्देश दिये गये हैं.
- यहाँ यह भी देखा गया कि कई कमरे खाली थे फिर भी बरामदे में बेड डाला गया था.
- जिसके लिये अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि ऐसी गलती दोबारा न हो.