राजधानी लखनऊ के इटौंजा में स्थित सीएचसी का मंगलवार पूर्वान्ह सीएमओ ने निरीक्षण किया। यहां उन्होंने ना तो किसी मरीज की सुनी और ना ही सीएचसी में फैली अव्यवस्थाओं की जांच की। मरीजों के तीमारदारों की माने तो सीएमओ में चाय के साथ बिस्किट और नमकीन का मजा लिया और चलते बने। वहीं सीएचसी के पीछे गड्ढे में हजारों रुपये की कीमत की जीवनरक्षक दवाएं आग में सुलगती रहीं। राजधानी के सीएमओ जांच करने पहुंचे इटौंजा सीएससी पहुंचे और यहां जांच के नाम पर रस्म अदायगी कर चले गए।
मरीजों के लिए दवाओं का टोटा
जानकरी के मुताबिक, मुख्य चिकित्सा अधिकारी लखनऊ डॉ. डॉक्टर नरेंद्र अग्रवाल मंगलवार को 11:45 बजे इटौंजा सीएचसी का निरीक्षण किया। यहां सीएमओ करीब आधा घंटा तक रहे। इस दौरान उन्होंने चाय, बिस्किट और नमकीन का भरपूर आनंद लिया और चले गए। सूत्रों के मुताबिक, जब मरीज के तीमारदार शिकायत लेकर पहुंचे तो सीएचसी अधीक्षक मिलिंद वर्धन ने उन्हें सीएमओ से नहीं मिलने दिया। वहीं सीएमओ जब वहां उपस्थित थे तो सीएचसी के पीछे गड्ढे में मरीजों को मुफ्त दी जाने वाली जीवन रक्षक दवाये सुलग रही थीं। तीमारदारों का आरोप है कि डॉक्टर बाहर से दवाएं लिखते हैं लेकिन फ्री में मिलने वाली गड्ढे में फेंक दी जाएँगी।
गड्ढे में दवाएं मिलना जांच का विषय
बता दें कि सरकारी अस्पतालों के लिए स्वास्थ्य विभाग जो जीवनरक्षक दवाएं मरीजों को नि:शुल्क देने के लिए भेजता है वह डॉक्टर एक्सपायरी होने पर कूड़े के ढेर में फेंक देते हैं। अभी तक जितनी दवाएं गड्ढे में मिली हैं उन दवाओं की मात्रा सैकड़ों की संख्या में थी। हालांकि अधिकांश की उपयोग करने की अवधि समाप्त हो गई थी। इस तरह की दवाएं सीएचसी के पीछे मिलना जांच का विषय है। इस संबंध में सीएमओ को जानकारी दी गई लेकिन उन्होंने इस बात को अनसुना कर पल्ला झाड़ लिया।