लखनऊ: आज उत्तराखंड विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के दौरान बसपा सुप्रीमो मायावती ने कांग्रेस को समर्थन देने के साथ कई राजनीतिक विश्लेषकों को चौंका दिया। आज सुबह फ्लोर टेस्ट से ठीक पहले मीडिया के सामने अपना रुख स्पष्ट कर दिया।
यूपी में राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ने लगी हैं और तमाम पार्टियाँ अपना प्रचार और अपने दावे को मजबूत करने में लगी हुई हैं। बीजेपी ने जहाँ केशव प्रसाद मौर्या को यूपी का अध्यक्ष बनाकर ये बताने की कोशिश की है कि बीजेपी केवल ब्राह्मण और क्षत्रियों की पार्टी ही नहीं है। हालांकि, बीजेपी ने अभी भी सीएम के उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है। वहीँ कांग्रेस भी प्रशांत किशोर की अगुवाई में उत्तर प्रदेश के लिये एक चेहरा ढूंढने में लगी हुई है। बता दें कि प्रशांत किशोर कांग्रेस के राजनीतिक रणनीतिकार हैं और उनकी अगुवाई में कांग्रेस उत्तर प्रदेश में अपनी जमीन तलाश रही है।
इसके अलावा राज्य की मौजूदा सपा सरकार अपनी उपलब्धियों को गिनाने में लगी है और अखिलेश यादव ये दावा कर रहे हैं कि सपा आगामी चुनाव में फिर से सत्ता में आयेगी। अखिलेश यादव अपना प्रचार सोशल मीडिया के माध्यम से भी करने में लगे हुए हैं। वह अपनी सरकार द्वारा चल रही योजनाओं के बारे में बताते हुए ये दावा करते रहे हैं कि प्रदेश की जनता के लिये एक ही विकल्प है और समाजवादी पार्टी अभी तक जनता के वादों पर खरी उतरी है।
लेकिन, बसपा सुप्रीमो मायावती के आज उत्तराखंड विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के दौरान कांग्रेस को समर्थन देने के बाद प्रदेश में सभी के समीकरण खराब होते दिख रहे हैं। ये माना जाने लगा है कि यूपी में अगले साल होने वाले चुनाव में ये दोनों पार्टियाँ एक दुसरे का हाथ थाम सकती हैं और कांग्रेस, बसपा के साथ मिलकर प्रदेश में बीजेपी की उम्मीदों पर पानी फेरने की कोशिश कर सकती है। ऐसी स्थिति में मायावती और कांग्रेस को फायदा होगा और इसका सीधा नुकसान बीजेपी को होगा। बसपा और कांग्रेस के साथ आने में दिक्कत केवल एक दिख रही है क्योंकि मायावती बसपा की तरफ से पहले भी सीएम रह चुकी हैं और ऐसे में अगर कांग्रेस इस बात पर राजी हो जाती है तो बीजेपी के लिये ये एक झटका हो सकता है।
बिहार में महागठबंधन की जीत के बाद से ही ये कयास लगाये जाने लगे थे कि उत्तर प्रदेश में भी ऐसा कुछ हो सकता है बीजेपी को रोकने के लिये, और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नॉन-बीजेपी पार्टी के मुखिया लोगों से ये अपील भी की थी कि बीजेपी को रोकने के लिये एक ऐसा गठबंधन जरुरी है।
बिहार की तर्ज पर ही उत्तर प्रदेश में भी महागठबंधन बनाने की कवायद पहले से ही चल रही है लेकिन इसको अंतिम रूप अभी भी नहीं दिया जा सका है, और यही एकमात्र स्थिति बीजेपी के लिये सुखद कही जा सकती है। RLD ने अपने पत्ते अभी नहीं खोले और इनके वोट बैंक पर बीजेपी पहले से निगाहें जमाये हुए है।
राज्य में मुस्लिम वोटरों को हमेशा से वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया गया है। कांग्रेस के बाद सपा ने इस वोट बैंक में सेंध लगाई और इस वोट बैंक को ना सपा खोना चाहेगी और कांग्रेस भी इस वोट बैंक को अपने पक्ष में करने के लिये पूरी ताकत लगाएगी। बीजेपी की छवि हालाँकि इस मामले में अच्छी नहीं रही है और मुस्लिम वोटरों को रिझाने में पार्टी अभी तक कुछ खास सफल नही हुई है। ऐसे में बीजेपी को फिर अपने स्टार प्रचारक और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सहारे ही यूपी के दंगल में उतरना होगा।