भारतीय जनता पार्टी ने राहुल गांधी की रहनुमाई में हुए पहले कांग्रेस के अधिवेशन को दिशाहीन करार दिया। प्रदेश प्रवक्ता डाॅ. मनोज मिश्र ने कहा कि काश भाजपा को कोसने के बजाय कांग्रेस राष्ट्र के विकास में विपक्ष की भूमिका पर ध्यान केन्द्रित करती तो देश का भी भला होता और कांग्रेस का भी। जिस ईवीएम ने कांग्रेस को 10 वर्षो का सत्ता सुख दिया और वर्तमान में बेगानी शादी में ही सही कुछ मुस्काराने का मौका ईवीएम से ही मिला है।
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डाॅ. मनोज मिश्र ने कहा कि यह देश का दुर्भाग्य है कि स्वयं को सबसे पुराना राजनीतिक दल होने का दम्भ भरने वाली कांग्रेस के महाधिवेशन के राजनीतिक प्रस्ताव में ईवीएम का मसला निकला, जबकि देश को उम्मीद थी कि कांग्रेस आगामी राजनीतिक गतिविधियों में देश की आर्थिक उन्नति, समृद्धि के लिए आदर्श विपक्ष की भूमिका का एजेण्डा सामने रखेगी। हार की हताशा से हताश और निराश कार्यकर्ताओ को ढांढस बंधाने के लिए ईवीएम पर ठीकरा फोड़ना वाजिब हो सकता है, परन्तु राजनीतिक प्रस्ताव से इस तरह के विषय जनमानस में कांग्रेस मुक्त भारत के संकल्प को और सुदृढ़ करेंगे।
डाॅ. मनोज मिश्र ने कहा कि ईवीएम पर सवाल उठाने से पहले कांग्रेस को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर ईवीएम के आधार पर चयनित यूपीए-1 और यूपीए-2 की सरकारों को असंवैधानिक घोषित करने की मांग करना चाहिए। इसके साथ ही पूरे विपक्ष को ईवीएम विरोध के पहले ईवीएम से चुने गए अपने सभी जनप्रतिनिधियों से त्याग पत्र दिलवाना चाहिए। चुनाव आयोग ईवीएम में किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ करने के लिए सभी राजनीतिक दलों को चैलेन्ज देकर आमंत्रित कर चुका है, पर चुनाव आयोग के बुलावे पर न जाकर हार का ठीकरा ईवीएम के सर फोड़कर पूरा विपक्ष बहानेबाजी में जुटा है। कांग्रेस सहित पूरे विपक्ष को अपने संवैधानिक दायित्वों को निर्वहन करते हुए मोदी सरकार के विकास रथ में सहयोगी बनना चाहिए नही तो आने वाला समय उन्हें क्षमा नहीं करेगा।