जौनपुर जिले के केराकत तहसील क्षेत्र के केराकत ब्लॉक व मुफ्तीगंज ब्लॉक के अंतर्गत दर्जनों गांव में अभी तक खुर पका , मुंह पका व गला घोटू का टीका आज तक नहीं लगा।
कई लोग रह गए वंचित:
संक्रामक बीमारियां अपना पांव पसार चुकी है । ऐसे में जबकि क्षेत्र के पशु चिकित्सा अधिकारी वह उनके स्टाफ के द्वारा घर-घर जाकर टीका लगाने का दावा किया जा रहा है व दीन दयाल पशु आरोग्य मेला शिविर के माध्यम से टीका लगाने का दावा किया जा रहा है ।वहीं पर दर्जनों गांव के लोग इस सुविधा से वंचित है.
ग्रामीणों ने लगाया सरकारी डॉक्टरों पर आरोप:
वहीं पर जहां ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि सरकारी डॉक्टर इलाज के नाम पर हमारी जमकर जेबे ढ़िली कर रहे है और आर्थिक शोषण कर रहे है. जबकि पशु चिकित्सालय पर लाखों रुपए के लग्जरी वाहन दिए गए हैं जो ढाक के तीन पात वाली बात पर चरितार्थ होते नजर आ रहे है ।
जिसमें सरकार की मंशा के अनुसार इन गाड़ियों से पशुपालकों के यहां जाकर संक्रामक बीमारियों का टीका लगाना व बेहतर विशेष परिस्थितियों में चिकित्सा सुविधा मुहैया करवाना था।
ख़ुद को नेता का रिश्तेदार बताने का आरोप:
जबकि इसे पशु डॉक्टर लेकर अपने मीटिंग व घर से हॉस्पिटल तक जाने आने व रुतबे के लिए इस्तेमाल करते है। ग्रामीणों का तो यहां तक कहना है कि केराकत के उप मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ केदारनाथ कुशवाहा अपने आपको बड़े नेता का रिश्तेदार व राजनीति में ऊंची पहुंच रखते हैं.यह भी कहते हुए रूतबा झाड़ते नजर आते है ।
पशुओं को टीका मई-जून तक लग जाना चाहिए था:
बारिश में पशुओं को संक्रमित बीमारियों से चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है, ऐसे में अभी तक दर्जनों गांव में टीका न लगना उनकी पोल खोलता हुआ नजर आ रहा है ।
वही ग्रामीणों ने बताया कि हमारे जानवरों के बीमार होने पर पशु डॉक्टर जब हमारे यहां आते है तो कहते हैं कि सब दवा हम लोग प्राइवेट खरीद कर लाए है,कोई दवा हॉस्पिटल पर नहीं आती जिसके बदले में ₹500 से कम तो लेते ही नहीं है.
इलाके में फ़ैल रहा संक्रमण:
संक्रमित बीमारियों का टिका न लगने वाले ग्रामों में डेहरी, सेनापुर , नदौली , अकबरपुर सदहा ,परमानंदपुर, महादेवा ,अमिहित , पकड़िया, खरगसिपुर, बड़नपुर ,छितौना, सरायबीरु एवं ,पसेवा , तरियारी , एकौनी , भौसिंहपुर , हसनपुर आदि केराकत ब्लॉक मुफ्तीगंज ब्लॉक के अंतर्गत दर्जनों गांव ऐसे हैं जहां पर अभी तक पशुओं को टीका नहीं लगा वहीं इससे संबंधित पशु चिकित्सा अधिकारी अपनी आंख मूंदे बैठे है ।
रिपोर्ट: तन्मय बरनवाल
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