मेरठ। यूपी के मेरठ में कोरोना महामारी के दौरान मेरठ जिले के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की लापरवाही का एक बड़ा मामला सामने आया है। फ़िलहाल प्रशासनिक अधिकारियों ने इस मामले में सख्त तेवर अपनाते हुए पूरे प्रकरण में एडीएम सिटी और सीएमओ के नेतृत्व में जांच के लिए एक टीम का गठन कर दी।

ये था मामला

दरअसल, गाजियाबाद जनपद के मोदीनगर निवासी गुरुवचन और कंकरखेड़ा क्षेत्र के फाजलपुर निवासी यशपाल को मेडिकल के कोविड वार्ड में भर्ती कराया गया था। बताया जाता है शनिवार को यशपाल और गुरुवचन दोनों की ही मौत हो गई। जिसके बाद मेडिकल के डॉक्टरों ने दोनों के शव उनके परिजनों के हवाले कर दिए।

एक के परिजनों ने बिना चेहरा देखे उनके शव का कर दिया अंतिम संस्कार।

कंकरखेड़ा निवासी यशपाल के परिजनों ने बिना चेहरा देखे उनके शव का देर रात अंतिम संस्कार भी कर दिया। उधर, मोदीनगर निवासी गुरुवचन के परिजन शव को लेकर श्मशान घाट में पहुंचे। परिजनों ने जैसे ही अंतिम दर्शन के लिए शव के चेहरे पर ढका कफन हटाया तो उनके होश उड़ गए। दरअसल, यह शव गुरुवचन का था ही नहीं। जिसके बाद सकते में आए गुरुवचन के परिजनों ने मामले की शिकायत मेरठ मेडिकल कॉलेज में की तो मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों के भी होश उड़ गए। पूरे प्रकरण की जांच कराई गई तो पता चला कि गुरुवचन और यशपाल के शव आपस में बदल गए हैं।

मामले में जिला प्रशासन ने अपनाया सख्त रुख दिए कार्रवाई के आदेश।

घटना की जानकारी मिलते ही  डीएम अनिल ढींगरा ने पूरे प्रकरण में एडीएम सिटी और सीएमओ के नेतृत्व में जांच के लिए एक टीम का गठन कर दिया है। वहीं, मेडिकल के अधिकारी डॉ ज्ञानेंद्र चौहान ने दावा किया कि इस लापरवाही में शामिल किसी भी आरोपी को बख्शा नहीं जाएगा।

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