प्रदेश के मुखिया जब गद्दी संभाले तो थानों का निरीक्षण बड़े जोर-शोर से करना शुरू किये और सख्त हिदायत के साथ बताया कि सरकार बदल गई है. अब सुधर जाओ और जनता के लिए काम करो जनता की मदद करो. पर शायद ये आदेश इलाहाबाद की पुलिस को नहीं समझ में आया या इलाहाबाद की पुलिस ने सोचा की इस तरह के आदेश तो आते ही रहते हैं पर अपनी जेब क्यों खाली रखी जाए. इस लिए पुलिस ने अपना रवैया नहीं बदला और काम के बदले दाम के अपने सिद्धांत को चालु रखा हुआ है. काम करवाना है तो चढ़ावा चढ़ाना ही पड़ेगा और बिना चढ़ावे के कुछ नहीं होना है.
इलाहाबाद के थानों क्या हाल है इसका अंदाजा आप थाने में ही लगे सीसीटीवी में कैद मुंशी और सिपाही की कारस्तानी को देख कर लगा सकते हैं. कैसे आने वाले फरियादियों से कैसे धन उगाही की जा रही है. और मजबूर परेशान फरियादी चढ़ावा चढाने के लिए मजबूर हो रहे हैं. थाने में बैठा मुंशी बेशर्मी के साथ पैसा बटोर रहा है.
सीसीटीवी से नहीं फर्क पड़ता साहब को
इलाहाबाद का हंडिया थाना, जहां अगर आप को कोई मुकदमा लिखना है या फिर कोई भी काम लेना है, थाने से मदद के तौर पर तो उसका चार्ज तो देना ही पडेगा. इसका अंदाजा इस सीसीटीवी में कैद विडियो को देख कर लगाया जा सकता है. जिसे जो भी फरियादी आ रहा है वो बिना पैसा दिए बाहर नहीं जा सकता है.
ये है आप की मित्र पुलिस जो आप को तभी सहयोग देगी जब आप मित्रता शुल्क का उसको भुगतान करेंगे. अगर नहीं किया तो काम नहीं सिर्फ मित्रता ही चलेगी कम नहीं होगा. इलाहाबाद में लगातार अपराध बढ़ रही हैं.
अपराध की रफ़्तार पूरे शबाब पर
बढ़ाते अपराध को देखते हुए इलाहाबाद के कप्तान आकाश कुल्हारी को हटा कर नए कप्तान नितिन तिवारी को बनाया गया. पर अपराध की रफ़्तार अपने पूरे शबाब पर है. आए दिन लूट हत्या चोरी इलाहाबादियों के लियी आम बात हो गई है.
सत्ता में आने से पहले जो लोग समाज वादी पार्टी को गुंडों अपराधियों और माफियाओं की सरकार बता कर घेरते थे आज उनके सरकार में इलाहाबाद अपराध से कराह रहा है.
खाकी अपनी कार गुजारियों के लिए आये दिन सुर्ख़ियों में रहती है. लाख इसको बदलने समझाने की कोशिश की जाती है. पर ये है की सुधरती ही नहीं. इसका ताजा उदहारण देखने को मिला इलाहाबाद में. जहाँ एक थाने में बैठा मुंशी और उसका सहयोगी धड़ल्ले से फरियादियों से पैसा वसूल रहा है.
अधिकारी भी कर देते है अनदेखा
मजे की बात ये की थाने में सीसीटीवी लगी है और उसी सीसीटीवी में ये करतूतें कैद हो रही हैं. पर ना मुंशी को कोई फर्क पड़ता है ना उसके सहयोगी को. आश्चर्य की बात ये की क्या इस सीसीटीवी को अधिकारी नहीं देखते हैं या फिर देख कर अनदेखा कर देते है.
जिस तरह से ये वसूली चल रही है और अधिकारियों को दिख नहीं रहा है. उससे तो इस बात को बल मिलता है कि थाने की वसूली ऊपर तक जाती है. ये बात आम कहावत है थानों और पुलिस के लिए की ऊपर तक पैसा जाता है भाई.