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कहां कम हुआ अपराध: अखिलेश की अपेक्षा योगी राज में 7.25 गुना बढ़ा महिला अपराध

akhilesh yadav yogi adityanath

अखिलेश के समय में दहेज़ हत्या के 7 से कम मामले प्रतिदिन दर्ज हो रहे थे जो योगी के समय में 5 से अधिक गुना बढ़कर 32 से अधिक मामले प्रतिदिन पर आ गए हैं। अखिलेश के समय में 8 से कम बलात्कार प्रतिदिन हो रहे थे जो योगी के समय में 6 से अधिक गुना बढ़कर 52 से अधिक मामले प्रतिदिन हो गए हैं। अखिलेश के समय में 21 से कम शीलभंग के मामले प्रतिदिन हो रहे थे जो योगी के समय में 8 से अधिक गुना बढ़कर 161 से अधिक मामले प्रतिदिन पर आ गए हैं। अखिलेश के समय में 27 से कम अपहरण प्रतिदिन हो रहे थे जो योगी के समय में 7 से अधिक गुना बढ़कर 196 से अधिक मामले प्रतिदिन हो गए हैं।

इसी प्रकार अखिलेश के समय में 3 से कम छेड़खानी के मामले प्रतिदिन हो रहे थे जो योगी के समय में 4 से अधिक गुना बढ़कर 13 से अधिक मामले प्रतिदिन हो गए हैं। अखिलेश के समय में 28 से कम महिला उत्पीड़न के मामले प्रतिदिन हो रहे थे जो योगी के समय में 6 से अधिक गुना बढ़कर 192 से अधिक मामले प्रतिदिन हो गए हैं। सर्वाधिक घृणास्पद पास्को कानून के तहत अखिलेश के समय में 8 से कम प्रतिदिन की दर से दर्ज होने वाले बच्चों के प्रति अपराध के मामले योगी के समय 8 से अधिक गुना बढ़कर 65 से अधिक मामले प्रतिदिन हो गए हैं। इस प्रकार यदि देखा जाए तो अखिलेश यादव के समय में महिलाओं के खिलाफ सभी श्रेणियों के 99 से कम अपराध प्रतिदिन घटित हुए जो अब आदित्यनाथ योगी के समय में 7 से अधिक गुना बढ़कर 714 अपराध प्रतिदिन पर आ गए हैं।

‘जिसकी जूती उसी का सर’ वाली कहाबत यूपी की बीजेपी सरकार पर फिट बैठती नज़र आ रही है। यूपी में कानून व्यवस्था को प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाकर सत्ता पर काबिज हुई भारतीय जनता पार्टी की सरकार अब कानून व्यवस्था के मुद्दे पर जबरदस्त रूप से फ्लॉप साबित हो रही है। कड़क छवि वाले वर्तमान सीएम योगी आदित्यनाथ के समय में हालात पूर्ववर्ती सीएम अखिलेश यादव के समय के मुकाबले 7 गुने से भी ज्यादा बदतर हो गए हैं। यूपी में बीजेपी की सरकार बनने और उस पर भी योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद सूबे की महिलाओं में नई उम्मीद जगी थी कि अब वे सुरक्षित हो जायेंगी लेकिन योगी आदित्यनाथ महिलाओं की अपेक्षाओं पर कतई खरे नहीं उतर सके हैं।

राजधानी लखनऊ निवासी मानवाधिकार कार्यकर्ता और एक्टिविस्ट संजय शर्मा की एक आरटीआई अर्जी पर सूबे के राज्य अपराध अभिलेख ब्यूरो ने जो सूचना दी है उससे यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि योगी सरकार के समय में महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों में पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार के मुकाबले सामने 725 प्रतिशत की जबरदस्त बढ़ोत्तरी दर्ज हुई है। ‘तहरीर’ संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय शर्मा ने बताया कि उन्होंने बीते मई महीने की 18 तारीख को आरटीआई अर्जी डाली थी जिस पर उत्तर प्रदेश के राज्य अपराध अभिलेख ब्यूरो के सहायक जन सूचना अधिकारी नी बीती 27 जुलाई को पत्र जारी करके संजय को सूचना दी है और पत्र की प्रति उत्तर प्रदेश के डीजीपी के कार्यालय को भी भेजी है।

संजय को दी गई सूचना के अनुसार पूर्ववर्ती सीएम अखिलेश यादव के कार्यकाल में 16 मार्च 2012 से 15 मार्च 2017 तक के 5 वर्ष यानि कि 1826 दिनों में सूबे में दहेज़ हत्या के 11449, बलात्कार के 13981,शीलभंग के 36643, अपहरण के 48048, छेड़खानी के 4874, महिला उत्पीड़न के 51027 और पास्को के 13727 अभियोग पंजीकृत हुए थे।

crime graph in Uttar pradesh during Akhilesh Yadav Govt

जबकि वर्तमान मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के कार्यकाल में 16 मार्च 2018 से 30 जून 2018 तक के 107 दिनों में सूबे में दहेज़ हत्या के 3435, बलात्कार के 5654, शीलभंग के 17249, अपहरण के 21077, छेड़खानी के 1410, महिला उत्पीडन के 20573 और पास्को के 7018 अभियोग पंजीकृत हुए हैं। एक्टिविस्ट संजय ने बताया कि इस प्रकार अखिलेश यादव के समय 826 दिनों में प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ विभिन्न श्रेणियों के कुल 179749 अपराध हुए जबकि वर्तमान मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के समय 107 दिनों में ही राज्य में महिलाओं के खिलाफ विभिन्न श्रेणियों के कुल 76416 अपराध घटित हो गए हैं।

संजय ने बताया कि राज्य अपराध अभिलेख ब्यूरो द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार अखिलेश के समय में दहेज़ हत्या के 7 से कम मामले प्रतिदिन दर्ज हो रहे थे जो योगी के समय में 5 से अधिक गुना बढ़कर 32 से अधिक मामले प्रतिदिन पर आ गए हैं। अखिलेश के समय में 8 से कम बलात्कार प्रतिदिन हो रहे थे जो योगी के समय में 6 से अधिक गुना बढ़कर 52 से अधिक मामले प्रतिदिन हो गए हैं। अखिलेश के समय में 21 से कम शीलभंग के मामले प्रतिदिन हो रहे थे जो योगी के समय में 8 से अधिक गुना बढ़कर 161 से अधिक मामले प्रतिदिन पर आ गए हैं।

अखिलेश के समय में 27 से कम अपहरण प्रतिदिन हो रहे थे जो योगी के समय में 7 से अधिक गुना बढ़कर 196 से अधिक मामले प्रतिदिन हो गए हैं। इसी प्रकार अखिलेश के समय में 3 से कम छेड़खानी के मामले प्रतिदिन हो रहे थे जो योगी के समय में 4 से अधिक गुना बढ़कर 13 से अधिक मामले प्रतिदिन हो गए हैं। अखिलेश के समय में 28 से कम महिला उत्पीड़न के मामले प्रतिदिन हो रहे थे जो योगी के समय में 6 से अधिक गुना बढ़कर 192 से अधिक मामले प्रतिदिन हो गए हैं।

सर्वाधिक घृणास्पद पास्को कानून के तहत अखिलेश के समय में 8 से कम प्रतिदिन की दर से दर्ज होने वाले बच्चों के प्रति अपराध के मामले योगी के समय 8 से अधिक गुना बढ़कर 65 से अधिक मामले प्रतिदिन हो गए हैं। इस प्रकार यदि देखा जाए तो अखिलेश यादव के समय में महिलाओं के खिलाफ सभी श्रेणियों के 99 से कम अपराध प्रतिदिन घटित हुए जो अब आदित्यनाथ योगी के समय में 7 से अधिक गुना बढ़कर 714 अपराध प्रतिदिन पर आ गए हैं।

समाजसेवी संजय का कहना है कि इस प्रकार राज्य अपराध अभिलेख ब्यूरो द्वारा दिए गए इन सरकारी आंकड़ों से साफ है कि सूबे में महिलाओं के प्रति होने वाले सभी श्रेणियों के अपराधों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हो रही है जो अत्यधिक चिंताजनक है। कानून व्यवस्था की गिरती स्थिति के लिए संजय ने पुलिस अधिकारियों की पोस्टिंग्स में क्षमता की जगह भाई भतीजाबाद, भ्रष्टाचार, जातिवाद, क्षेत्रवाद आदि को तरजीह देने की कुनीति को जिम्मेदार ठहराया है।

बकौल संजय दिल्ली की सत्ता का रास्ता यूपी से ही होकर ही जाता है और अगर योगी अब भी न चेते तो ऐसा भी संभव है कि 2019 में BJP का विजय रथ दिल्ली पहुचने से पहले यूपी में ही रुक जाए। अपनी संस्था ‘तहरीर’ के प्रतिनिधिमंडल के साथ शीघ्र ही प्रदेश के मुख्यमंत्री और राज्यपाल से मिलकर सूबे की गिरती कानून व्यवस्था पर चर्चा करने और उनको सुझावात्मक मांगपत्र सौंपने की बात भी संजय ने कही है।

 

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