आईजी जोन गोरखपुर मोहित अग्रवाल ने दागी पुलिसकर्मियों की सूची मांगी है। सूची तैयार करने को बाकायदा गाइड लाइन भी दिया गया है। लेकिन यह गाइड लाइन खुद पुलिसकर्मियों के गले ही नहीं उतर रही है। अधिकांश पुलिसकर्मी इसे आईजी जोन के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गुडफेथ में जाने की कोशिश मान रहे हैं। इतना ही नहीं, मंदिर के करीबियों को भी आईजी का यह फरमान गले नहीं उतर रहा। वे इस कदम को मंदिर को बदनाम करने की कोशिश के रूप में तो देख ही रहे हैं, योगी की छवि को धूमिल करने का दुस्साहसिक प्रयास भी मान रहे हैं।
क्या है मामला
वजह कुछ और नहीं बल्कि कुशीनगर के कप्तानगंज थाने में तैनात रहे एसओ संजय राय पर हुई कार्रवाई को लेकर है। कहने को तो यह विभागीय कार्रवाई के तहत हुआ है, लेकिन मीडिया से होकर जनता तक पहुंच चुकी यह खबर कुछ और ही बयां कर रही हैं। यह चर्चाएं आम हैं कि इस एसओ का पिपराइच थाने में रहते हुए योगी आदित्यनाथ से कहासुनी हुई थी और अब योगी आदित्यनाथ सीएम होने के बाद बदला ले रहे हैं। लेकिन योगी आदित्यनाथ के करीबी और राजनैतिक जानकारों को यह बात पच नहीं रही हैं।
कुछ का कहना है कि आईजी साहब द्वारा योगी आदित्यनाथ को गुडफेथ में लेने को उठाया गया कदम है। वे बाकायदा तर्क भी दे रहे हैं। उनका कहना है कि दागी दर्जनों एसओ और इन्स्पेक्टर हैं, फिर अकेले संजय राय के खिलाफ कार्रवाई होना आईजी को संदिग्ध बना रहा है। हालांकि कोई भी व्यक्ति खुलकर बात कहने में हिचक भी रहा है। इनमे योगी के नजदीकी भी शामिल हैं।
ऐसे लोग यह भी कह रहे हैं कि मंदिर और योगी की बेदाग छवि खराब करने की कोशिश की जा रही है। वे इसे पूर्वर्ती सरकार के मातहतों का खेल बता रहे हैं। जिनका कहना है कि आईजी मोहित अग्रवाल के कार्यकाल में पिछले पांच महीने से संजय राय एसओ के पद पर कार्यरत रहे। फिर अचानक कार्रवाई की क्या जरुरत आन पड़ी? यह कदम योगी के करीब पहुंचने की कोशिश नहीं तो और क्या है? आईजी का यह कदम सिर्फ और सिर्फ अपनी साख बरकरार रखने और योगी की लोकप्रियता को बट्टा लगाना है।
इनकी मानें तो अगर कार्रवाई सही है तो अन्य दागियों पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई? अगर सूची ही तैयार करनी थी इसके तैयार होने का बाद कार्रवाई हुई होती। फिर यह संशय नहीं होता। सवाल यह है कि सूची बनने के पहले ही कार्रवाई क्यों कर दी गयी? अगर हुई तो अन्य दागियों पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
इनका कहना है कि आईजी द्वारा उठाया गया कदम यह बताने को काफी है कि योगी संग पिपराइच में एसओ से होने वाली झड़प को ही आधार बनाया गया है। अगर ऐसा नहीं है तो आधा दर्जन दागी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सीबीसीआईडी की जांच चल रही है, इनके खिलाफ भी अगर संजय राय के साथ ही कार्रवाई हुई होती तो अच्छी बात होती।
कार्रवाई की जद में हैं ऐसे पुलिसकर्मी
- अपराधियों को शरण देने वाले और माफियाओं से सम्बन्ध रखने वाले।
- जिनके खिलाफ मुकदमे हुए हो या मामलों में एफआर लग गया हो।
- मुकदमों से नाम निकले गए कर्मचारियों हों और अन्यत्र स्थानांतरित कर दिए गए हों।
- अवैध कटान, खनन, शराब बिक्री, डग्गामार वाहनों का संरक्षण आदि में लिप्त पुलिसकर्मी।
- जनता के विरुद्ध दुर्व्यवहार की शिकायत हो और जिन पर दुश्चरित्रता का आरोप लगा हो।
- जिनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की शिकायतें हों।
ये भी हैं दागी
ब्रजेश वर्मा (इन्स्पेक्टर), नौतनवां: महराजगंज के नौतनवां, कुशीनगर के खड्डा, हाटा में तैनाती में समय आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। गोरखपुर में तैनाती के समय भू-माफियाओं और पशु तस्करों से सम्बन्ध का आरोप लगा।
निर्भय सिंह, (इन्स्पेक्टर) तरयासुजान, कुशीनगर: इनके खिलाफ कई फर्जी एनकाउंटर के मुकदमे दर्ज हैं। पशु तस्करों और अवैध खनन माफियाओं से सम्बन्ध के मामले में विजिलेंस जाँच चल रही है। इन पर पशु तस्करों से सम्बन्ध के आरोप भी हैं।
गजेंद्र राय (इन्स्पेक्टर), खड्डा कुशीनगर: सहजनवां में तैनाती के दौरान आपराधिक मुक़दमा दर्ज हुआ था।
विक्रम वीरेंद्र सिंह, इंस्पेक्टर, महराजगंज ठूठीबारी: इनके खिलाफ भी फर्जी एनकाउंटर का मुक़दमा।
राजीव रंजन उपाध्याय, गाजीपुर शहर कोतवाल: फर्जी एनकाउंटर का मुकदमा, गोरखपुर के भू-माफियाओं से सम्बन्ध का आरोप, अपराधी चन्दन से सम्बन्ध के आरोप में रिपोर्ट।
श्रीप्रकाश यादव, कुशीनगर क्राइम ब्रांच: खोराबार के एसओ रहते भू-माफियाओं से सम्बन्ध का आरोप, सहारा स्टेट में मकान, आय से अधिक संपत्ति, संतकबीर नगर के महुली में एक निर्दोष के खिलाफ आईपीसी की धारा 307 में निरुद्ध करने का आरोप, मामले में परिनिन्दा प्रविष्टि दी गयी।
ओपी राय, लखनऊ: आय से अधिक संपत्ति, गोरखपुर के देवरिया रोड पर स्थित सिंघड़िया में करोड़ों की आलीशान मकान, भू-माफियाओं से सम्बन्ध का आरोप।
विक्रम सिंह, बस्ती, सदर: श्याम देउरावा थाने में फर्जी साक्ष्य गढ़ने के आरोप में मुक़दमा, सीबीसीआईडी ने मामले में लगाई है चार्जशीट, मामला कोर्ट में विचाराधीन, बस्ती में चार्ज
निर्भय नारायण सिंह: रामकोला में तैनाती के दौरान लाश को जलाकर साक्ष्य मिटने का आरोप, मामले में चल रहा मुक़दमा।
विनय पाठक, एसएसआई, कसया: कसया थाने के एसएसआई पर फर्जी एनकाउंटर का आरोप, एक मंत्री के दबाव में अनेक फर्जी मुकदमे लिखने का आरोप, राजनैतिक दबाव में इंद्रजीत राय उर्फ़ भुटकुन राय की खिलाफ गैंगेस्टर लगाने का आरोप, दो गैंगेस्टर में एक ही मुकदमे को आधार बनाने का आरोप (मुक़दमा नंबर 95/14)
इन पर भी है आय से अधिक की संपत्ति का आरोप
चौथीराम यादव, श्यामलाल यादव, रामशंकर यादव, उपेंद्र यादव, राजीव रंजन उपाध्याय, ब्रजेश वर्मा, गोविन्द अग्रवाल। इन सब पर गोरखपुर के रिहायशी इलाकों में मकान होने के आरोप है, जिनकी कीमत करोड़ों में बताई जा रही है।
उठ रहे सवाल
- किस आधार पर निर्धारित हो रहा अपराधियों से पुलिसकर्मियों का संबंध?
- भू-माफियाओं से सम्बन्ध का क्या है आधार?
- किसी मुकदमे में नामजदगी निरस्त होने, एफआर लगने, विभागीय कार्रवाई में दोषमुक्त होने पर भी कार्रवाई क्यों?
- अगर पुलिसिंग को स्वच्छ करने का मकसद है तो मातहतों पर ही केवल कार्रवाई क्यों? दागी उच्चाधिकारियों पर क्यों नहीं?
- दर्जनों दागी आईपीएस अधिकारियों पर भी क्या ऐसी ही कार्रवाई नहीं होनी चाहिए?