सावन का आज पहला सोमवार है। कृष्ण की नगरी मथुरा तीनो लोको से न्यारी और भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली हैं। जो की प्रातः काल सूर्य की पहली किरण के साथ ही अनेकों दर्शनार्थियों को अपनी और साधना और भक्ति की डोर से अपनी ओर खीच लेती है। साथ ही उन तमाम आत्माओं में एक अदभुत ऊर्जा भर देती है जिससे वो प्रभु का गुणगान और दर्शन कर पाते है।
5500 साल पुराना भूतेश्वर महादेव का मंदिर:
ये मथुरा नगरी जहां भूतेश्वर महादेव के रूप में विराजते है। भगवान शिव जी का यहाँ आज से करीब 5500 साल पुराना ये मंदिर आज हजारों लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है।
भूतेश्वर महादेव के पीछे की दंतकथा:
भगवान कृष्ण के समय में इस स्थान पर जहरीले सांप बिच्छू और कई आत्माओं का डेरा हुआ करता था। जिससे सभी ब्रजवासी भयभीत थे तत्पश्चात सभी ब्रजवासियों ने भगवान शिव की आराधना की। आराधना से प्रसन्न हो कर भगवान शिव खुद यहां ब्रजवासिओं की रक्षा हेतु विराजमान हुए। तभी से भगवान शिव के इस स्वरुप को भूतेश्वर महादेव कहा जाता है।
सबकी मनोकामना पूरी करने वाले महाकाल बाबा:
सबकी मनोकामना को पूरी करने वाले व् कष्टों को हरने वाले महाकाल बाबा को मथुरा का नगर कोतवाल भी कहा जाता है। रोजाना सुबह शाम यहां भक्तों का ताँता लगा रहता है। एक बार जो भी आकर सच्चे मन से जो मनोकामना मांगता है भगवान भोले नाथ जल्द उस भक्त पर अपनी कृपा की नजर बना देते है।
सावन के चौथे सोमवार को यहां शाम को नजारा देखते ही बनता है। हजारों भक्तों की भीड़ छप्पन प्रकार की भोग दूध की धार और विशाल मेला और शिव का अलग अलग रूपों से श्रृंगार की छवि देखते ही बनती है। भगवान शिव सभी भक्तों के दुखों को हरे और समस्त विश्व का कल्याण करे सर्व धर्म संगम ऐसी प्रार्थना करता है।