उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में यातायात व्यवस्था और पर्यावरण संतुलन को प्रोत्साहन देने के लिए प्रदेश की समाजवादी सरकार ने ‘साइकिल ट्रैक’ बनवाए थे। लेकिन जिन कारणों से इन साइकिल ट्रैक का निर्माण किया गया था, उनका इस्तेमाल वैसा नहीं हो रहा जैसा समाजवादी सरकार ने सोचा था।
गन्ने के रस से लेकर चाय की दुकान तक खुली है ट्रैक पर:
- राजधानी की सड़कों पर साइकिल चलाने वालों की सुविधा के लिए विभिन्न इलाकों में साइकिल ट्रैक तो बना दिए गए, लेकिन इनका फायदा साइकिल चलाने वालों को नहीं मिल रहा है।
- साइकिल ट्रैक पर दुकानें खुल गई हैं, जिनमे गन्ने का रस का स्टाल, चाय की दुकान आदि खुल गयी हैं।
- इसके अलावा बाटी चोखा भी बेचा जा रहा है। पान की दुकानें तो इस ट्रैक पर दिखना आम बात है।
- जिम्मेदार अधिकारी इस पूरे प्रकरण पर आँखें मूंदें बैठे हैं।
- अधिकारियों द्वारा किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाई नहीं की जा रही है, दुकान वाले धड़ल्ले से साइकिल ट्रैक अपनी दुकानें चला रहा हैं।
- इसके अलावा शहर के अन्य जगहों पर भी साइकिल ट्रैक का निर्माण कराया जा रहा है।
- जिसमें राजधानी के पोर्श इलाके गोमतीनगर में, सहारा हॉस्पिटल के पास, जबकि विशालखण्ड में सीएमएस स्कूल के पास साइकिल ट्रैक का निर्माण की शुरुआत वहां से होती है।
- विशालखंड थाने, कैप्टन मनोज पाण्डेय चौराहे से पत्रकारपुरम चौराहे तक और फिर यहां से सहारा शहर हॉस्पिटल तक बने साइकिल ट्रैक पर जगह- जगह दुकानें खुल गई हैं।