उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिला में एक दलित महिला अधिकारी ने ग्रामप्रधान पर भेदभाव का आरोप लगाया है। आरोप है कि उन्हें समीक्षा बैठक में इसलिए पानी नहीं पिलाया गया क्योंकि वह दलित वर्ग से सम्बंध रखती है। इस मामले को लेकर महिला अधिकारी ने उच्चाधिकारियों से शिकायत की है और दोषियों के खिलाफ कार्यवाही किये जाने की मांग की है।
महिला अधिकारी तो इसके लिए ऊँची जाति से सम्बंध रखने वाले पंचायत सिकेट्री और ग्राम प्रधान को जिम्मेदार ठहरा रही है। लेकिन पंचायत सिकरेट्री और ग्राम प्रधान का कहना है कि पानी की व्यवस्था की जा रही थी लेकिन महिला अधिकारी बीच मे बैठक छोड़कर वापस लौट गई। महिला अधिकारी के आरोपों में कितनी सच्चाई है यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा। लेकिन दलित महिला अधिकारी ने जिस तरीके से आरोप लगाये है उससे समाज की जमीनी हकीकत सामने आ गई है।
जानकारी के मुताबिक, मामला कौशांबी जिले का है। यहां तैनात उप पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर सीमा मंझनपुर ब्लाक के अम्बावा पूरब गांव गई हुई थी। विकास कार्यों की समीक्षा के दौरान जब महिला की बोतल का पानी खत्म हो गया, तब उन्होंने ग्राम प्रधान और अपने साथ मौजूद पंचायत सिकरेट्री से पानी पिलवाएं जाने की मांग की। महिला अधिकारी का आरोप है कि दलित होने की वजह से उनके साथ भेदभाव किया गया और उन्हें पीने के लिए पानी तक नहीं दिया गया। बताया जाता है कि काफी देर तक पानी न मिलने से डायबिटीज की मरीज महिला अधिकारी की तबियत बिगड़ने लगी और वह समीक्षा बैठक बीच में ही छोड़कर जिला मुख्यालय वापस लौट गई।