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कश्ती हर तूफां से निकल सकती है , बिगडी हुयी बात फिर बन सकती है
हिम्मत रख हौसला न हार,किस्मत किसी रोज बदल सकती है।

ऐसा ही कुछ हौसला 17 साल के मोहम्मद अहमद में भी है। उन्हें ईश्वर ने भले ही बोलने और सुनने की शक्ति नहीं दी लेकिन, बाकी उनमें इतने हुनर भर दिए हैं जिसका बखान शब्दों में कर पाना संभव नहीं है। छह साल की उम्र से भरतनाट्यम और कला के क्षे़त्र में नाम कमा रहे इस किशोर ने कई सारे राज्य स्तरीय पुरस्कार अपने हुनर,हौसले और जज्बे के बल पर प्राप्त किए हैं।

पिता को पहले लगा था सदमा

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  • मोहम्मद अहमद के पिता हसीब अहमद निजामी बताते हैं कि उनके बेटे की विकलांगता का पता उन्हें जन्म के छह महीने बाद चला।
  • शुरू में तो उन्हें लगा कि शायद उनका बेटा देर से बोलेगा।
  • मगर छह महीने का होने पर भी जब अहमद के मुंह से कोई आवाज नहीं निकली तो शंका हुई।
  • उन्होंने तुरंत चिकित्सक से सलाह ली तो उन्हें पता चला कि उनका बेटा मूक बधिर है
  • इसके बाद तो उन्हें काफी गहरा सदमा भी लगा लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी ।

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  • जब अहमद बड़ा होने लगा तो करीब तीन साल की उम्र में उसने एक चि़त्र बनाया जो कि बेहद खूबसूरत था।
  • इसके बाद पिता निजामी ने उसके हाथों में कलर्स दिए। जिससे उसने पेटिंग बनानी शुरू कर दी।

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  • कई प्रतियोगिताओं में अहमद को पुरस्कार भी मिले जिससे पिता का हौसला बढ़ने लगा।
  • उन्होंने अहमद का एडमिशन मूक बधिर बच्चों के स्कूल एमसी चतुर्वेदी में कराया।
  • जहां अहमद ने कक्षा चार तक की पढाई की। इसी दौरान उसने नृत्य करना भी शुरू कर दिया।

आगे वीडियो में देखें मो.अहमद की बेहतरीन परफॉर्मेंस

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स्कूल में रहे हैं टाॅपर

  • सेंट फ्रांसिस में हाईस्कूल तक की शिक्षा ली।
  • शिक्षा के इस दौर में अहमद ने स्कूल में ही भरतनाटयम की ट्रेनिंग ली।

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  • उसके बाद तो मानो अहमद के कदम सफलता की बुलंदियों को छूने लगे।
  • नृत्य और कला के साथ अहमद पढाई में भी बहुत अच्छे हैं।

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  • हालहि में उन्होंने शकुंतला मिश्रा विश्वविद्वालय से पीडीसीडी की डिग्री ली है जो कि इंटर के समकक्ष होती है।
  • खास बात ये है कि इस कोर्स में उन्होंने अपने विदयालय में टाॅप किया।

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  • अब अहमद सामान्य बच्चों के साथ बैचलर आॅपफ आर्ट की पढाई करने की तैयारी में हैं
  • हालांकि ये भी उनके लिए एक चुनौती है लेकिन पिता निजामी को यकीन है कि उनका बेटा ये भी कर दिखाएगा ।

पिता के छलके आंसू

  • पिता निजामी अपने सभी बच्चों में सबसे ज्यादा प्यार अहमद को करते हैं।
  • हमसे बात करते हुए उन्होंने अपने बेटे अहमद को सीने से लगा लिया।

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  • उनकी आंखे ये कहते हुए नम हो गयी कि मुझे अपने इस बेटे पर बेहद नाज है।
  • आज मेरा सिर फक्र से ऊंचा हो जाता है जब अहमद का नाम अखबारों और टीवी चैनलों में आता है।
  • अहमद को इतने पुरस्कार मिले हैं कि जिन्हें समेटना भी मुश्किल हो जाता हैै।

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  • अल्लाह ने मुझे ऐसा बेटा दिया जिसकी वजह से आज लोग मुझे जानते हैं।

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  • मैें ईश्वर से बस यही कामना करता हूं कि जीवन में अहमद को कोई कष्ट न हो और वो ऐसे ही तरक्की करे।

आगे देखें वीडियो और मो.अहमद के अवार्डों की सूची

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मिल चुके हैं ये अवार्ड

  • 2004 में सोसाइटी पफाॅर हृयूमन एंड नेचर डेवलेपमेंट एंड रिसर्च नई दिल्ली की ओर से पेटिंग काॅपटीशन में प्रथम पुरस्कार।
  • विश्व विकलांगता दिवस 2009 में राज्य सरकार की ओर से प्रमुख सचिव मुख्य मंत्री शैलेश कृष्ण ने पुरस्कृत किया ।
  • 2009 में क्रिसमस डे के मौके पर में कैथेडिल चर्च में राज्यपाल बीएल जोशी की ओर से विशिष्ट सम्मान दिया गया ।
  • अहमद की परपफार्मेस से खुश होकर उन्होंने अहमद के साथ फोटो भी खिचवायी।

https://youtu.be/Bt_6HQ_-SYo

  • सेंट फ्रांसिस स्कूल के प्रबंधन ने भोपाल में भरतनाट्यम प्रस्तुत करने का अवसर अहमद को दिया।
  • जहां पर अहमद को दर्षकों और प्रबंधन समिति की ओर से विषेष सराहना मिली।
  • 2010 में विश्व विकलांग दिवस के मौके पर अहमद ने नत्य किया तो उन्हें बेहतरीन परपफार्मेंस के लिए राज्य स्तरीय पुरस्कार 2010 से सम्मानित किया गया ।
  • एसोसिएशन आॅफ दि डीफ लखनऊ की ओर से आयोजित प्रतियोगिता में अहमद ने सोलो डांस में प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया।
  • विश्व क्षय रोग दिवस 2010 में पोस्टर प्रतियोगिता में प्रशस्ति पत्र से सम्मानित हुए।
  • नेशनल पीजी काॅलेज प्रोग्राम में मीडिया की ओर से आयोजित प्रतियोगिता में मोहम्मद अहमद को विशिष्ट पुरस्कार मिला ।

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