सगे भाईयो समेत चार की हत्या में ‘लईक’ को मृत्युदंड, ‘उमर’ को उम्र कैद
सगे भाईयो समेत चार की हत्या में ‘लईक’ को मृत्युदंड, ‘उमर’ को उम्र कैद
अपराध की श्रेणी को विरलतम मानते हुए एफटीसी जज पूनम सिंह ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला
तीन दिन पूर्व कोर्ट ने दो को ठहराया था दोषी,एक हुआ था बरी,आज सजा के बिन्दु पर आया फैसला
छह वर्ष पूर्व चांदा थाना क्षेत्र के कोईरीपुर में मामूली कहा-सुनी को लेकर हुई थी दिल दहला देने वाली हत्या की वारदात
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सुलतानपुर।
बहुचर्चित फोर मर्डर केस में फास्ट ट्रैक कोर्ट जज पूनम सिंह ने तीन दिन पूर्व दोषी ठहराये गये हत्या के दोषियों की सजा के बिन्दु पर सुनवाई कर मंगलवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया। एफटीसी द्वितीय की कोर्ट ने दोषी लईक के जरिये किये अपराध को अत्यंत विरलतम व जघन्य श्रेणी का मानते हुए उसे मृत्युदंड की सजा सुनाई है, वहीं अदालत ने दूसरे दोषी ‘उमर’ को उम्र कैद की सजा से दण्डित किये जाने की सजा सुनाई है। अदालत का यह फैसला आने के बाद दोषियों के परिजनो का रो- रोकर बुरा हाल रहा। वहीं पीड़ित पक्ष ने कोर्ट के इस फैसले से छह वर्षो बाद संतोषजनक न्याय मिलने की बात कही।
मालूम हो कि चांदा थाना क्षेत्र के कोईरीपुर में सात अक्टूबर वर्ष 2015 को मामुली कहा-सुनी को लेकर आमिना व मोहल्ले के ही रहने वाले लईक पक्ष के बीच विवाद हो गया। इस दौरान आरोपी लईक ने आक्रोश में आकर सहआरोपियों की मदद से गोश्त काटने वाले चापड़ से अगले पक्ष के सगे भाई गौहर व जौहर एवं इनके चचेरे सगे भाई जावेद व मोइनुद्दीन पर वार कर उन्हें गम्भीर रूप से घायल कर दिया, जिनकी मौत हो गई। इस घटना में आमिना को भी गम्भीर चोटें आई थी। मामले में आमिना के पति सरफुद्दीन की तहरीर पर लईक व सहआरोपी उमर के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज हुआ। तफ्तीश के दौरान सहआरोपी लल्लू का भी नाम सामने आया। तीनों आरोपियों के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दाखिल हुआ। प्रकरण का विचारण एफटीसी द्वितीय की अदालत में चला। इस दौरान बचाव पक्ष से पैरवी करने वाले अधिवक्ताओं ने आरोपियों को बेकसूर बताया। वहीं अभियोजन पक्ष से पैरवी कर रहे शासकीय अधिवक्ता मनोज कुमार दूबे व वादी के निजी अधिवक्ता रायसाहब सिंह ने दस गवाहों व अन्य साक्ष्यों को प्रस्तुत कर उन्हें ही घटना का जिम्मेदार ठहराया। मामले में अभियोजन गवाहों को कोर्ट तक बुलाकर आरोपियों को उनकी करनी के अंजाम तक पहुँचाने में एफटीसी द्वितीय की कोर्ट पर तैनात कोर्ट मुहर्रिर राजनाथ यादव ने भी अहम भूमिका निभाई। मामले में उभय पक्षों को सुनने के पश्चात एफटीसी जज पूनम सिंह ने मुख्य आरोपी लईक व सहआरोपी उमर को हत्या व हत्या के प्रयास सहित अन्य धाराओं में बीते छह मार्च को ही दोषी करार दिया था, जिनकी सजा के बिन्दु पर सुनवाई के लिए 9 मार्च की तारीख तय की गयी थी। वहीं सह आरोपी लल्लू को साक्ष्य के आभाव में संदेह का लाभ देते हुए अदालत ने बरी कर दिया था। आज दोषी ठहराये गये लईक व उमर की सजा के बिंदु पर सुनवाई चली। इस दौरान बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं ने मुकदमे की परिस्थितियों को देखते हुए सजा में नरमी बरतने की मांग की। वहीं अभियोजन पक्ष ने अपराध की श्रेणी को विरलतम बताते हुए दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा से दण्डित किए जाने की मांग की। उभय पक्षो को सुनने के पश्चात एफटीसी जज पूनम सिंह ने प्रकरण में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए दोषी लईक जैसे अपराधी को सजा में नरमी देना उचित न मानते हुए उसे जब तक मृत्यु न हो जाय तब तक उसे फांसी के फंदे से लटकाने का आदेश दिया है। वहीं दोषी उमर को उम्र कैद की सजा सुनाई है। अदालत ने दोनों दोषियों को 32 हजार रुपये के अर्थदण्ड से दण्डित किये जाने की सजा सुनाई है। वहीं अदालत ने फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में होने वाली अपील के दृष्टिगत आलाकत्ल चाकू को सुरक्षित रखने का आदेश पारित किया है। अदालत का यह ऐतिहासिक फैसला आते ही दोषियों के परिजन फूट-फूटकर रोने लगे। वहीं अभियोगी सरफुदद्दीन ने आज संतोषजनक न्याय मिलने की बात जाहिर करते हुए अदालत पर पूरा भरोसा होने की बात कही। अदालत के इस फैसले चर्चाओं का माहौल रहा।