इतिहास गवाह है की 1949 में अयोध्या में स्थित राम मंदिर की जगह स्थित बाबरी मस्जिद में जब से राम लला की मूर्ति स्थापित की गयी है तब से वह क्षेत्र ना सिर्फ 2 समुदायों के बीच मतभेद का हिस्सा है बल्कि राजनीती का भी अहम हिस्सा बन गया है. हर 5 साल बाद जब लोकसभा चुनाव नज़दीक आते हैं. तब राम मंदिर और बाबरी मस्जिद का मुद्दा जरुर गरमाता है. रामजन्म भूमि से जुड़े बहुत से किस्से कहानियां प्रचलित हैं पर आज हम आपको बतायेंगे एक किस्सा जो नेहरु गाँधी परिवार से जुड़ा है.
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]जब राजीव गाँधी पर था राजनीतिक दबाव[/penci_blockquote]
राजीव गांधी ने 1989 का लोकसभा चुनाव अभियान की शुरुआत अयोध्या से की थी और कहा था की वे पुरे देश में राम राज्य लायेंगे. पर मौजूदा स्थित देख के इतना तो पता है की वे अपने वादे पर खरे नहीं उतरे.
राजीव गाँधी के कार्यकाल के दौरान 2 नारे बहुत ही जोर शोर से गूँज रहे थे. पहला नारा था वीपी सिंह का जो बोफोर्स घोटाले को मुद्दा बना कर यह कहते घूम रहे थे की, “सेना खून बहाती है और सरकार कमीशन खाती है.” और दूसरा नारा था, “गर्व से कहो हम हिन्दू हैं.” इस नारे का ईजाद विश्व हिन्दू परिषद ने बहुसंख्यक आबादी में जोश भरने के लिए शुरू किया था.
प्रणब मुखर्जी ने मुताबिक ‘मंदिर का शिलान्यास थी राजीव की सबसे बड़ी गलती’:
गांधी जब सत्ता में आये तो उन पर राजनीतिक दबाव बहुत था. शायद यही कारण रहा की उनसे गलतियाँ भी काफी हुईं. पहले तो उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह ने कहकर मस्जिद का विवादित हिस्सा पूजा पाठ के लिए खुलवा दिया, जिससे विश्व हिन्दू परिषद को मौका मिला और उसने, ‘राम लला कैद में हैं.’ के नारे लगाना शुरू कर दिया. और फिर कोर्ट के प्रतिबन्ध के बावजूद 1989 में वहां शिलान्यास करने की इजाज़त दे दी.
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]प्रणब मुखर्जी की किताब में खुले हैं कई रहस्य[/penci_blockquote]
राजीव गाँधी के इस कदम का रहस्योद्घाटन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपनी पुस्तक ‘टरब्यूलेंट इयर्स : 1980-96’ में किया है.
किताब में उन्होंने यूपी के तत्कालीन डीजीपी आरपी जोशी से शिलान्यास के ठीक अगले दिन की मुलाकात के बारे में लिखा है. जोशी ने इस रहस्य पर से पर्दा उठाया की दिल्ली में बैठे बड़े लोगों की वजह से ऐसा ही पाया, यानि अप्रत्यक्ष रूप से जोशी ने राजीव गाँधी, बूटा सिंह और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी का नाम ले ही लिया.
जोशी ने बताया की बूटा सिंह ने इस शिलान्यास के लिए बहुत अहम भूमिका निभाई है. राम मंदिर मामले में वे ही केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच की अहम कड़ी थे.
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]शिलान्यास से पहले गोरखपुर आये राजीव गाँधी[/penci_blockquote]
शिलान्यास होने से ठीक पहले राजीव गाँधी, एन डी तिवारी और बूटा सिंह सहित गोरखपुर आये, जहाँ उन्हें देवरहा बाबा से मुलाक़ात करना था. यह मीटिंग बाबा एक आईएएस भक्त ने फिक्स करायी थी.
देवरहा बाबा से लिया आशीर्वाद:
बाबा के बारे एक बात बहुत प्रचलित है जो की यह है की बाबा अपने भक्तों के सिर पर अपना पैर लगा कर आशीर्वाद देते हैं. राजीव गाँधी ने भी इसी तरह बाबा का आशीर्वाद प्राप्त किया.
राम मंदिर के शिलान्यास के विषय पर पूछने पर, बाबा एक हल्की सी मुस्कान के साथ कहा, “बच्चा हो जाने दो.”
अपनी किताब में मुखर्जी ने लिखा है की इसके आगे क्या हुआ पूछने पर जोशी ने भी हल्की मुस्कान के साथ कहा, “बच्चे ने हो जाने दिया.”
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