बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम की तरह देवरिया नारी संरक्षण गृह में भी देह व्यापार और मानव तस्करी का खुलासा होने के बाद उत्तर प्रदेश के लोगों में काफी आक्रोश पैदा हो गया है। सोमवार को राजधानी लखनऊ के हजरतगंज स्थित गांधी प्रतिमा पर जीपीओ स्तिथ गांधी प्रतिमा पर देवरिया से आए सपा कार्यकर्ताओ ने जोरदार प्रदर्शन किया। सपा कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि ये घटना सत्ता के संरक्षण में हुई है। सपा कार्यकर्ताओं ने इस पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया।
इधर देवरिया जिला मुख्यालय स्थित बालिका गृह से सेक्स रैकेट संचालित होने का मामला प्रकाश में आने के बाद शासन गंभीर हो गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने खुद जिलाधिकारी सुजीत कुमार को सोमवार की सुबह फोन कर पूरी जानकारी ली। इस दौरान इस प्रकारण की रात में ही जानकारी न देने पर जिलाधिकारी पर नाराजगी भी जताई है। साथ ही पूरे प्रकरण की जांच कर शाम तक रिपोर्ट उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया है। उधर दो घंटे तक जिलाधिकारी सुजीत कुमार व अपर पुलिस अधीक्षक गणेश प्रसाद शाहा ने बाल गृह पहुंच कर मुक्त कराए गए बच्चों व महिलाओं से बातचीत की।
संस्था द्वारा बच्चों को अपने पास जबरिया रखा गया और उनसे अवैध कार्य कराए गए। जिलाधिकारी ने सोमवार को मुख्यमंत्री व प्रमुख सचिव को बताया कि संस्था को कई बार खाली कराने का प्रयास किया गया, लेकिन हर बार गिरिजा त्रिपाठी ने महिलाओं को आगे कर न तो खाली कराने दिया और न ही जांच ही पूरी की करने दी गई। सीबीआई जांच में ही यहां बच्चे कम मिले थे। इसलिए इसे पहले ही संदिग्ध किया जा चुका है। एसपी के निर्देश पर संस्था से 24 बच्चों व महिलाओं को मुक्त कराते हुए उसे सील कर दिया गया। संचालिका, अधीक्षक समेत तीन को पुलिस ने देर रात गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस का दावा है कि 18 बच्चे अब भी इस संस्था से गायब हैं, जिनके बारे में पता लगाया जा रहा है। मालूम हो कि मां विंध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण एवं समाज सेवा संस्थान द्वारा संचालित बाल गृह बालिका, बाल गृह शिशु, विशेषज्ञ दत्तक ग्रहण अभिकरण एवं स्वाधार गृह देवरिया की मान्यता को शासन ने स्थगित किया हुआ है। इसके बाद भी संस्था में बालिकाएं, शिशु व महिलाओं को रखा जा रहा था। रविवार को बालिका गृह से बेतिया बिहार की रहने वाली एक बालिका प्रताड़ना के चलते भाग निकली और पूरे प्रकरण का खुलासा हो गया। इससे पुलिस प्रशासन गंभीर हो गया है और लगातार इस रैकेट से जुड़े अन्य लोगों की तलाश में अपनी जाल बिछाए हुए है।
जिला प्रोवेशन अधिकारी का कहना है कि उनके पास महिला व बच्चों को मिलाकर कुल 42 होना चाहिए। रात को मुक्त कराते समय 24 बच्चों को अपने कब्जे में लिया गया, लेकिन देर रात जांच में एक बच्चा उसमें काम करने वाली एक महिला का निकल गया, जिसके चलते उसे वापस कर दिया गया, अभी तक कुल तीन लड़के व 20 महिलाएं मुक्त कराई गई है। अभी भी 19 महिलाओं व बच्चों का पता नहीं चल पाया है। साथ ही संबंधित संस्था के लोग भी कोई डाटा नहीं दे पा रहे हैं। गौरतलब है कि
वर्ष 2017 में खत्म की जा चुकी मान्यता
एसपी रोहन पी. कनय ने बताया कि गड़बड़ियों के चलते संरक्षण करें कि मान्यता जून 2017 में खत्म कर दी गई थी। सीबीआई ने भी अनियमितताओं को चिन्हित कर रखा है। संचालिका हाईकोर्ट से स्थगन आदेश लेकर इसे चला रही थी। रजिस्टर में 42 लड़कियां थी 18 नहीं मिली। उसका पति संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए, इसलिए उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है।
संचालिका ने पुलिस पर लगाया आरोप
उधर संचालिका गिरजा त्रिपाठी ने कहा संरक्षण गृह में कोई गलत काम नहीं होता है। लड़की पुलिस के कब्जे में है वह उससे जो चाहे कहलवा ले। रजिस्टर में जितनी लड़कियां दर्ज हैं मौके पर उतनी ही मिली हैं। संस्था की मान्यता समाप्त नहीं है बल्कि स्थगित है और मामला कोर्ट में विचाराधीन है।
#EXCLUSIVE – #DeoriaShelterHomeCase – देवरिया प्रकरण में FIR की कॉपी. @deoriapolice @Uppolice @dgpup pic.twitter.com/M7L6bi4zv4
— UttarPradesh.ORG News (@WeUttarPradesh) August 6, 2018