बिहार के मुजफ्फरपुर की तरह देवरिया जिला मुख्यालय स्थित बालिका गृह से सेक्स रैकेट संचालित होने का मामला प्रकाश में आने के बाद शासन गंभीर हो गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने खुद जिलाधिकारी सुजीत कुमार को सोमवार की सुबह फोन कर पूरी जानकारी ली। इस दौरान इस प्रकारण की रात में ही जानकारी न देने पर जिलाधिकारी पर नाराजगी भी जताई है। साथ ही पूरे प्रकरण की जांच कर शाम तक रिपोर्ट उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया है। उधर दो घंटे तक जिलाधिकारी सुजीत कुमार व अपर पुलिस अधीक्षक गणेश प्रसाद शाहा ने बाल गृह पहुंच कर मुक्त कराए गए बच्चों व महिलाओं से बातचीत की।
क्या है पूरा मामला?
मालूम हो कि मां विंध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण एवं समाज सेवा संस्थान द्वारा संचालित बाल गृह बालिका, बाल गृह शिशु, विशेषज्ञ दत्तक ग्रहण अभिकरण एवं स्वाधार गृह देवरिया की मान्यता को शासन ने स्थगित किया हुआ है। इसके बाद भी संस्था में बालिकाएं, शिशु व महिलाओं को रखा जा रहा था।
रविवार को बालिका गृह से बेतिया बिहार की रहने वाली एक बालिका प्रताड़ना के चलते भाग निकली और पूरे प्रकरण का खुलासा हो गया। इससे पुलिस प्रशासन गंभीर हो गया है और लगातार इस रैकेट से जुड़े अन्य लोगों की तलाश में अपनी जाल बिछाए हुए है।
मुख्यमंत्री ने किया जिलाधिकारी को काल:
एसपी के इस प्रकरण के खुलासा करने के बाद से ही शासन से लगातार अधिकारियों के पास फोन आ रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि रविवार की रात को जिलाधिकारी के पास मुख्यमंत्री का फोन आया, लेकिन वह रिसीव नहीं कर पाए। सोमवार की सुबह मुख्यमंत्री कार्यालय से फोन कर जिलाधिकारी से बात कराई गई। जिलाधिकारी सुजीत कुमार से मुख्यमंत्री ने लगभग दस मिनट तक बातचीत की।
इस दौरान रात को फोन न रिसीव करने तथा प्रकरण से अवगत न कराने पर जिलाधिकारी से नाराजगी जताई। उधर प्रमुख सचिव के साथ ही मंडलायुक्त समेत अन्य अधिकारियों ने भी जिलाधिकारी से बातचीत की और प्रकरण के बारे में जानकारी लेते हुए रिपोर्ट उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।
संस्था पर बच्चों से अवैध काम कराने के आरोप:
संस्था द्वारा बच्चों को अपने पास जबरिया रखा गया और उनसे अवैध कार्य कराए गए। जिलाधिकारी ने सोमवार को मुख्यमंत्री व प्रमुख सचिव को बताया कि संस्था को कई बार खाली कराने का प्रयास किया गया, लेकिन हर बार गिरिजा त्रिपाठी ने महिलाओं को आगे कर न तो खाली कराने दिया और न ही जांच ही पूरी की करने दी गई।
सीबीआइ जांच में ही यहां बच्चे कम मिले थे। इसलिए इसे पहले ही संदिग्ध किया जा चुका है।
पुलिस ने रविवार की देर रात संस्था पर छापेमारी कर बच्चों व महिलाओं को मुक्त तो करा लिया। जिला प्रोवेशन अधिकारी प्रभात कुमार के प्रयास के बाद उन्हें सोमवार की भोर में राजकीय बाल गृह में शिफ्ट किया गया।
जिला प्रोवेशन अधिकारी ने कहा कि उन्हें अभी शिफ्ट किया गया है। फिर उम्र की जांच करने के बाद उन्हें गोरखपुर व बलिया जनपद में शिफ्ट किया जाएगा। जांच के चलते अभी कुछ निर्णय नहीं लिया जा रहा है।
19 बच्चे व महिलाएं हैं गायब:
जिला प्रोवेशन अधिकारी का कहना है कि उनके पास महिला व बच्चों को मिलाकर कुल 42 होना चाहिए। रात को मुक्त कराते समय 24 बच्चों को अपने कब्जे में लिया गया। लेकिन देर रात जांच में एक बच्चा उसमें काम करने वाली एक महिला का निकल गया, जिसके चलते उसे वापस कर दिया गया। अभी तक कुल तीन लड़के व 20 महिलाएं मुक्त कराई गई है। अभी भी 19 महिलाओं व बच्चों का पता नहीं चल पाया है। साथ ही संबंधित संस्था के लोग भी कोई डाटा नहीं दे पा रहे हैं।
23 जून 2017 को हुआ था पहला पत्र व्यवहार:
संस्था द्वारा संचालित बाल गृह बालिका, बाल गृह शिशु, विशेषज्ञ दत्तक ग्रहण अभिकरण एवं स्वाधार गृह देवरिया की मान्यता 2017 में सीबीआइ की जांच में संदिग्ध मिलने के बाद स्थगित कर दिया गया। शासन के निर्देश पर जिला प्रोवेशन अधिकारी प्रभात कुमार ने 23 जून 2017 को ही पत्र व्यवहार किया, लेकिन बच्चों को महिलाओं को संस्था द्वारा दूसरी जगह शिफ्ट नहीं किया गया।