उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने आते ही कई महत्वपूर्ण फैसलों की घोषणा की है, इसके साथ ही मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने सभी सरकारी कार्यालयों की कार्य प्रणाली को बेहतर करने के लिए काम भी शुरू कर दिए हैं। लेकिन सूबे में भ्रष्टाचार अपनी चरम सीमा पर पहुँच चुका है। जिसके तहत ताजा मामला चिकित्सा शिक्षा महानिदेशालय का है, जहाँ बड़े पैमाने पर गड़बड़ियाँ देखने को मिल रही हैं।
रिटायर्ड बाबू देख रहे हैं अहम फाइलें:
- उत्तर प्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद से ही मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी विभागों की कार्य प्रणाली को सुधार रहे हैं।
- वहीँ चिकित्सा शिक्षा महानिदेशालय में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियाँ देखने को मिल रही हैं।
- विभाग की सारी अहम फाइलें उन बाबू के पास हैं जो दिसंबर 2016 में अपने पद से रिटायर हो चुके हैं।
- गड़बड़ियों की अंधेर नगरी में सिर्फ एक यही मामला नहीं है।
- विभाग में जिन डॉक्टरों ने ज्वाइन किया है, उन्होंने कभी कोई काम नहीं किया।
- इतना ही नहीं बिना काम किये उन्हें सालों-साल वेतन भी दिया जाता रहा है।
- इसके अलावा उन लोगों को प्रमोशन दिया गया जिन पर गैंगस्टर एक्ट जैसी गंभीर धाराएँ लगी हुई हैं।
- विभाग के वित्तीय मामलों में गड़बड़ी के आरोपों के बावजूद कैशियर को बिना निलंबित किये NOC भी जारी कर दिया गया।
- साथ ही साथ विभाग में महत्वपूर्ण पदों पर बैठे बाबुओं को हिंदी टाइपिंग तक नहीं आती।
- विभाग में पिछले 5 सालों के भीतर कई गंभीर गड़बड़ियों और अनियमितताओं की शिकायत सामने आई।
- लेकिन शिकायत के बाद भी विभाग के आला अधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंगी।
विभाग पर लगे आरोप:
- चिकित्सा शिक्षा महानिदेशालय पिछले 5 सालों में कई गड़बड़ियों और अनियमितताओं के आरोप लगे हैं।
- जिसके तहत मेरठ मेडिकल कॉलेज में बिना वित्त विभाग की स्वीकृति के गाइनी ओटी का निर्माण।
- बदायूं, सहारनपुर और कन्नौज में मेडिकल कॉलेज में फर्नीचर खरीद में करोड़ों रुपये के हेरफेर के आरोप।
- मेडिकल कॉलेज में MRI मशीनों की खरीद में हेरफेर के आरोप।
- दागी कंपनी को कानपुर और गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की सप्लाई का काम सौंपा गया।
- इसके साथ ही महानिदेशालय में कई तैनातियों पर भी सवाल खड़े किये गए हैं।
सीएम कार्यालय में शिकायत दर्ज:
- एक गैर-सरकारी संस्था भ्रष्टाचार मुक्त भारत संगठन ने पूरे प्रकरण की शिकायत मंगलवार को मुख्यमंत्री ऑफिस में की थी।
- साथ ही संगठन ने विभागीय बजट में भी गड़बड़ियों का आरोप लगाया है।
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