Uttar Pradesh News, UP News ,Hindi News Portal ,यूपी की ताजा खबरें
Uttar Pradesh

कार्तिक पूर्णिमा 2018 : लाखों श्रद्धालुओं ने पवित्र नदियों में लगाई आस्था की डुबकी

पूरे देश कार्तिक पूर्णिमा 2018 का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। लाखों श्रद्धालु देर रात से ही गंगा, गोमती सहित सभी प्रमुख नदियों के घाटों पर आस्था की डुबकी लगाने के लिए पहुंचे हुए थे। हरिद्वार, इलाहाबाद, वाराणसी, लखनऊ, कानपुर सहित सभी जगहों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिली। प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए कड़े इंतजाम किये थे। आज पतित पावनी गंगा में डुबकी लगाने के लिए देश के विभिन्न राज्यों से लाखों श्रद्धालु धर्मनगरी हरिद्वार पहुंचे थे। गंगा स्नान सुबह पांच बजे शुरू हो गया था और सूर्यास्त तक चला।

पूर्णिमा के कृतिका नक्षत्र में पड़ने से पर्व का खास महत्व है। कार्तिक पूर्णिमा को कई जगह देव दीपावली के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार इसी दिन भगवान शिव ने तारकाक्ष, कमलाक्ष व विद्युन्माली के त्रिपुरों का नाश किया था। त्रिपुरों का नाश करने के कारण ही भगवान शिव का एक नाम त्रिपुरारी भी प्रसिद्ध है। इस दिन गंगा-स्नान व दीपदान का विशेष महत्व है। इसी पूर्णिमा के भगवान विष्णु का मत्स्यावतार हुआ था। कई तीर्थ स्थानों में इसे बड़े पैमाने पर मनाया जाता है।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]कल सूर्योदय से पहले करें गंगा स्नान[/penci_blockquote]
ब्रह्माजी का वरदान पाकर तारकाक्ष, कमलाक्ष व विद्युन्माली बहुत प्रसन्न हुए। ब्रह्माजी के कहने पर मयदानव ने उनके लिए तीन नगरों का निर्माण किया। उनमें से एक सोने का, एक चांदी का व एक लोहे का था। सोने का नगर तारकाक्ष का था, चांदी का कमलाक्ष का व लोहे का विद्युन्माली का। अपने पराक्रम से इन तीनों ने तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया। इन दैत्यों से घबराकर इंद्र आदि सभी देवता भगवान शंकर की शरण में गए। देवताओं की बात सुनकर भगवान शिव त्रिपुरों का नाश करने के लिए तैयार हो गए। विश्वकर्मा ने भगवान शिव के लिए एक दिव्य रथ का निर्माण किया। चंद्रमा व सूर्य उसके पहिए बने, इंद्र, वरुण, यम और कुबेर आदि लोकपाल उस रथ के घोड़े बने। हिमालय धनुष बने और शेषनाग उसकी प्रत्यंचा। स्वयं भगवान विष्णु बाण तथा अग्निदेव उसकी नोक बने। उस दिव्य रथ पर सवार होकर जब भगवान शिव त्रिपुरों का नाश करने के लिए चले तो दैत्यों में हाहाकर मच गया। दैत्यों व देवताओं में भयंकर युद्ध छिड़ गया। जैसे ही त्रिपुर एक सीध में आए, भगवान शिव ने दिव्य बाण चलाकर उनका नाश कर दिया। त्रित्रुरों का नाश होते ही सभी देवता भगवान शिव की जय-जयकार करने लगे। त्रिपुरों का अंत करने के लिए ही भगवान शिव को त्रिपुरारी भी कहते हैं।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]कार्तिक पूर्णिमा की व्रत कथा[/penci_blockquote]
दैत्य तारकासुर के तीन पुत्र थे- तारकाक्ष, कमलाक्ष व विद्युन्माली। जब भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर का वध कर दिया तो उसके पुत्रों को बहुत दुःख हुआ। उन्होंने देवताओं से बदला लेने के लिए घोर तपस्या कर ब्रह्माजी को प्रसन्न कर लिया। जब ब्रह्माजी प्रकट हुए तो उन्होंने अमर होने का वरदान मांगा, लेकिन ब्रह्माजी ने उन्हें इसके अलावा कोई दूसरा वरदान मांगने के लिए कहा। तब उन तीनों ने ब्रह्माजी से कहा कि- आप हमारे लिए तीन नगरों का निर्माण करवाईए। हम इन नगरों में बैठकर सारी पृथ्वी पर आकाश मार्ग से घूमते रहें। एक हजार साल बाद हम एक जगह मिलें। उस समय जब हमारे तीनों पुर (नगर) मिलकर एक हो जाएं, तो जो देवता उन्हें एक ही बाण से नष्ट कर सके, वही हमारी मृत्यु का कारण हो। ब्रह्माजी ने उन्हें ये वरदान दे दिया।

[penci_related_posts taxonomies=”undefined” title=”हिंदी की खबरें ” background=”” border=”” thumbright=”yes” number=”4″ style=”grid” align=”none” displayby=”post_tag” orderby=”random”]

Related posts

एबीवीपी का तीन दिवसीय अधिवेशन समाप्त, पारित हुए दो प्रस्ताव

Sudhir Kumar
7 years ago

पुलिस के लोग फील्ड में रहते हैं लेकिन सही सूचना मेरे पास आती है-सीएम योगी आदित्यनाथ

Desk
6 years ago

24 घंटे के भीतर फिर होने से बचा IIM रोड जैसा कांड!

Sudhir Kumar
7 years ago
Exit mobile version