उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आयोजित प्रादेशिक पुष्प प्रदर्शनी में “धन्वन्तरि वाटिका” राजभवन द्वारा आयुर्वेदीय औषधि पौधों एवं जड़ी-बूटियों का प्रदर्शन किया गया। बता दें कि राजभवन की ‘धन्वन्तरि वाटिका’ प्रांगण में ये प्रदर्शनी करीब 42 सालों से आयोजित की जा रही है। इस प्रदर्शनी का उद्घाटन मुख्य सचिव उत्तरप्रदेश सरकार राहुल भटनागर ने किया। धन्वन्तरि वाटिका द्वारा लगाये जाने वाले इस स्टाल से धन्वन्तरि वाटिका राजभवन द्वारा प्रकाशित ‘‘शतायु की ओर’’ पत्रक के सोलहवें अंक, जो आयुर्वेद द्वारा मधुमेह निवारण एवं नियंत्रण से संबंधित है, का निःशुल्क वितरण भी किया।
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24 फरवरी, 2001 को हुई थी धन्वन्तरि वाटिका की स्थापना-
- प्रभारी अधिकारी धन्वन्तरि वाटिका, राजभवन एवं आयुर्वेदाचार्य डा0 शिव शंकर त्रिपाठी ने बताया कि इस वाटिका की स्थापना 24 फरवरी, 2001 को हुई थी।
- इस वाटिका की स्थापना का मुख्य उद्देश्य आयुर्वेदीय औषधि पौधों के ज्ञान को जन-जन तक पहुँचाना है।
- इस प्रदर्शनी में करेले और तरबूज के बना मगरमच्छ और मिर्ची वाला मुर्गा लोगों के आकर्षण का मुख्य केंद्र रहा।
- जिसे देखने के लिए लोगों में काफी उत्साह दिखाई गया।
- इसके साथ ही गेंदा के फूल से बनाये गए गणपति ने भी लोगों का दिल मोह लिया।
- प्रदर्शनी में आये सभी लोगों ने विभिन्न प्रकार के फूलों और सब्ज़ियों को न सिर्फ देखा बल्कि उसके बारे में जानकारी भी ली।
- इस दौरान मुख्य सचिव राहुल भटनागर ने बताया कि समृद्ध बागबानी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इस प्रदर्शनी का आयोजन किया जाता है।
- उन्होंने कहा कि इस प्रदर्शनी को देखने के लिए प्रदेश भर से लोगों की भीड़ राजभवन पहुँचती है।
- यहाँ आकर हर उम्र के लोगों एक अलग अनुभव का आनंद मिलता है।
- यही नही बच्चे ,युवा और बुजुर्ग सभी अपनी तस्वीरों को तरह तरह के फूलों के साथ खिंचवाते है।
- इसके अतिरिक्त महिलाओं, बच्चों एवं मालियों के लिए विभिन्न वर्गों की प्रतियोगिताएँ में प्रतिभागियों द्वारा प्रतिभागिता की गई।
- इस प्रदर्शनी में कुल 45 श्रेणी के 626 वर्गों में विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की गई।
- जिसमे विजेताओं को 101 चल वैजयांतियाँ प्रदान कर सम्मानित किया गया।
- बता दें कि इस बार की प्रदर्शनी में 901 प्रतियोगियों में हिस्सा लिया।
- इस प्रदर्शनी में 3549 तरह की दुर्लभ प्रजातियों को प्रदर्शित किया गया।
- प्रदर्शनी के दौरान फूलों से सजी बार्बी डॉल के साथ लोगों ने खूब सेल्फी खिंचवाई।
औषधीय पौंधों की एक आदर्श वाटिका का रूह है धन्वन्तरि वाटिका-
- निरन्तर संवर्धन के फलस्वरूप वर्तमान में यह वाटिका प्रदेश में औषधीय पौंधों की एक आदर्श वाटिका के रूप में जानी जाती है।
- इस प्रदर्शनी में पुत्रजीवक, पिप्पली, नागरमोथा, अश्वगंधा, अन्तमूल, वंशलोचन,
- पुनर्नवा,अस्थिश्रृंखला, काकमाची, सैरेयक, घृतकुमारी, ब्राह्मी, शतावरी, समी,
- वासा, कुटज, निर्गुण्डी,स्नुही, वनफ्सा, हरीतकी, विभीतकी तथा गुड़मार आदि 200 से अधिक दुर्लभ जड़ी-बूटियों एवं औषधि पौधों को प्रदर्शित किया गया।