लखनऊ: समाजवादी पार्टी के बड़े नेता हों या सरकारी तंत्र में मौजूद अफसर, सभी दावा करते आये हैं कि घटना घटित होते ही 10 से 15 मिनट के अंदर मौके पर पहुँच राहत कार्य किया जाएगा। पर दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों में क्या खुद राजधानी के सबसे पॉश चौराहों पर भी ये दावे फेल होते नज़र आ रहे हैं, फिर चाहे समाजवादी एम्बुलेंस (108) हो या इमरजेंसी सेवा (डायल 100)।
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ताज़ा मामला लखनऊ के 1090 चौराहे का है जहाँ आज सुबह दो बाइकों के बीच भयानक भिड़ंत हुई, दोनों मौके पर ही घायल हो गए। दूध का बल्टा लेकर जा रहे एक युवक को गंभीर चोटें आयीं, जिसके बाद मौके पर मौजूद सभी राहगीरों ने इमरजेंसी सेवाओं को फ़ोन करना शुरू कर दिया। लेकिन कहीं से भी मदद मुहैया ना होने और जवाब ना मिलने पर अफ़रा-तफरी में घायलों को ऑटो पर बिठाकर अस्पताल ले जाया गया।
विडम्बना ये भी है कि खुद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तक एम्बुलेंस सेवाओं के जरिये ग्रामीण क्षेत्रों में भी तत्काल मदद पहुँचाने का दावा करते आये हैं। ऐसे में राजधानी के बीचो-बीच सरकारी तंत्रों का फेल हो जाना अपने आप में सोचनीय है। हम आशा करते हैं कि प्रशासन इस घटना से सबक लेगा और आगे घटने वाली घटनाओं पर सतर्कता दिखाएगा।