ट्रॉमा सेंटर में इलाज के लिए आनेवाले अति गंभीर व गंभीर मरीजों को तत्काल डिजिटल एक्स-रे की जरुरत पड़ती है। साधारण एक्स-रे मशीन से एक्स-रे करने पर बारीक कमियों या घावों का पता नहीं चल पता है। जिसका खामियाजा कई बार मरीजों को भुगतना पड़ता है। इसलिए ही अब प्राइवेट अस्पतालों में डिजिटल एक्स-रे की सुविधा मरीजों को मिलती है। राजधानी के मेडिकल कॉलेज सहित कुछ सरकारी अस्पतालों में भी डिजिटल एक्स-रे की सुविधा मरीजों को मिल रही है। इसी कड़ी में ट्रामा में भी अत्याधुनिक डिजिटल एक्स-रे मशीन लगाई गई है।

पहले से थी एक मशीन

  • ट्रॉमा सेंटर में अति गंभीर व गंभीर मरीजों को तत्काल डिजिटल एक्स-रे की जरुरत होती है।
  • लेकिन कई बार मशीन के अभाव में मरीजों की बेहतर जांच नहीं हो पाती
  • मरीजों की इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए ट्रामा सेंटर में ये मशीन लगायी गयी है।
  • सैमसंग कम्पनी ने सीएसआर फंड से ट्रॉमा सेंटर को अत्याधुनिक डिजिटल एक्स-रे मशीन दी है।
  • इसके पूर्व भी सैमसंग ने रेडियोलॉजी विभाग को दो अल्ट्रासाउंड मशीनें उपलब्ध करायी थीं।
  • जिनका संचालन मरीज हित में किया जा रहा है।
  • इस हाईटेक मशीन का संचालन केजीएमयू के रेडियोलॉजी विभाग द्वारा किया जाएगा।
  • जबकि ट्रॉमा की अन्य मशीनों का संचालन पीपीपी मॉडल के तहत किया जाता है।
  • वर्तमान समय में ट्रॉमा सेंटर में एक डिजिटल एक्स-रे मशीन क्रियाशील है।
  • जिसका संचालन पीपीपी मॉडल के तहत होता है।

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  • इस अत्याधुनिक डिजिटल एक्स-रे मशीन है का संचालन कल 21 जुलाई से प्रारंभ हो रहा है।
  • मशीन से मरीजों का उच्च गुणवत्तापरक डिजिटल एक्स-रे अपेक्षाकृत कम समय में किया जा सकेगा।
  • इस मशीन से मरीज का एक्स-रे करने में कंप्यूटर स्क्रीन पर ईमेज तुरंत दिखाई देने लगती है।
  • इससे समय की बचत होगी। जो मरीजों के हित में अत्यंत लाभकारी है।
  • केजीएमयू द्वारा मशीन का संचालन स्वयं किए जाने से इसके शुल्क में भी कमी की संभावना है।
  • जो ट्रॉमा में आने वाले गरीब मरीजों की हित में होगा।

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