पंजाब नेशनल बैंक में देश का बड़ा बैंकिंग घोटाला हुआ है. ये घोटाला करीब 11500 करोड़ रुपये से ज़्यादा का बताया जा रहा है. पीएनबी ने बताया कि कुछ खाताधारकों को लाभ पहुंचाने के लिए लेन-देन की गई. इन लेन-देन के आधार पर ग्राहकों को दूसरे बैंकों ने विदेशों में क़र्ज़ दिए थे. वहीँ इसके बाद कानपुर में रोटोमैक पेन के मालिक विक्रम कोठारी के 5000 करोड़ के बैंक लोन को चुकता न करने का खुलासा हुआ और सीबीआई ने उन्हें देश छोड़ने से पहले ही धर दबोचा था जबकि कानपुर में ही एक और बैंक फ्रॉड सामने आया है.
घूस देकर लोन देने का सनसनीखेज खुलासा
कानपुर के व्यापारी दिनेश अरोड़ा का कारनामा सामने आया है. फर्जी बैलेंसशीट पर SBI ने 145 करोड़ लोन दे दिया. बताया जाता है कि डिफाल्टर होने के बाद भी एसबीआई ने लोन दिया. तीन बैंकों का 240 करोड़ रु लोन के रूप में दिनेश अरोड़ा ले चुका है. आयल मिल के नाम पर 240 करोड़ का लोन लिया. जबकि लोन मिलते ही पहले माह में खाता एनपीए होने की खबर भी आई. बेईमानी,लूट और बैंक वालों से आपराधिक सांठगांठ को इसके पीछे वजह बताया जा रहा है. एसबीआई का 153 करोड़,पीएनबी का 42 करोड़ फंसा हुआ है जबकि बैंक आफ बड़ौदा का 45 करोड़ भी लोन लेने में कामयाब हुआ.
बैंक का 40 करोड़ लेकर दिनेश अरोड़ा गायब
कानपुर में एक और बैंक स्कैम का खुलासा है. बैंक ऑफ़ बड़ोदा का 40 करोड़ डकारकर दिनेश अरोड़ा फरार बताया जा रहा है. ख़बरों के मुताबिक, घर से 2 दिन पहले घर से निकले अरोड़ा का कोई पता नहीं है. घर के बाहर सिर्फ सिक्योरिटी गार्ड मौजूद है. घर के बाकी सदस्य भी अरोड़ा के साथ गायब हैं. बताया जा रहा है कि दिनेश अरोड़ा ने 3 करोड़ के बंगले पर 40 करोड़ का लोन लिया था. लेकिन बैंक ने बिना किसी पड़ताल के कैसे लोन दे दिया, इसको लेकर चर्चाएँ हो रही हैं. वहीँ बैंक के अधिकारियों पर भी इस लोन को पास करने को लेकर सवाल उठने लगे हैं.
कानपुर में विक्रम कोठारी का कारनामा पहले ही आ चुका है सामने
पान पराग समूह में पारिवारिक बंटवारे के बाद विक्रम कोठारी के हिस्से में रोटोमैक कम्पनी आयी थी. इसके विस्तार के लिये उसने सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों से पाॅच हजार करोड़ से अधिक के ऋण लिये. विक्रम के रसूख के चलते बैंकों ने उसे खैरात की तरह लोन बांटे.कागजों में विक्रम की सम्पत्तियों का अधिमूल्यन किया गया. सर्वे में कोठारी केे दिवगंत पिता मनसुख भाई कोठारी की साख को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गयी. देश के बड़े राजनेताओं के साथ रिश्तों और बाॅलीवुड की मशहूर हस्तियों के ब्राण्ड एम्बेसडर होने से बैंक प्रबन्धन ने भी आॅखें मूॅद ली. कम्पनी के घाटे को नजरअन्दाज किया गया और ऋण की रकम को हजारों करोड़ में पहुॅचने दिया गया. अब विक्रम की कम्पनी में ताला लग चुका है