लखनऊ विकास प्राधिकरण में 50 साल से अधिक उम्र के कर्मचारियों की स्क्रीनिंग के बाद उन्हें हटाये जाने की चर्चाओं से विवाद खड़ा हो गया है। एलडीए उपाध्यक्ष प्रभु एन. सिंह की मानें तो जिन्हें इसके तहत हटाया जाएगा, उनकी गिनती दहाई से कम हैं। इसके बाद से कर्मचारी संगठन वीसी के इस रवैये के विरोध में खड़ा हो गया है।
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निर्धारित हैं मानक
- संगठन पदाधिकारी की मानें तो यदि भ्रष्टाचार को मानक में रखा गया है।
- तो ऐसे करीब 45 कर्मचारी हैं, जिन्होंने एलडीए में तमाम तरह के खेल कर करोड़ों की संपत्ति अर्जित की है।
- ऐसे में वीसी को पारदर्शी रवैया अपनाते हुए सभी को हटाना चाहिए न कि महज गिने चुने लोगों को।
- दरअसल, 50 साल की उम्र से अधिक हो गए लोगों को उनके कार्यों को देखते हुए हटाने की प्रक्रिया जारी है।
- शासन के इस आदेश के तहत एलडीए में कुछ मानक निर्धारित किये गए हैं।
- इसमें भ्रष्टाचार, मेडिकल छुट्टी, क्लेम, सत्यनिष्ठा को शामिल किया गया है।
- इसके तहत बीते दस वर्षों की 1128 कर्मियों की स्क्रीनिंग की गई है।
- इस संबंध में एलडीए उपाध्यक्ष प्रभु एन. सिंह ने कहा कि स्क्रीनिंग लगभग पूरी हो गई।
- जिन कर्मियों को हटाया जाएगा, उनकी संख्या दहाई से कम है।
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- बताया जा रहा है कि इसमें मुक्तेश्वर नाथ ओझा जैसे नटवरलाल शामिल हैं
- लेकिन विवाद की वजह यह है कि अगर वीसी भ्रष्टाचार के आधार पर लोगों को हटा रहे हैं तो उन्हें पारदर्शिता बरतनी चाहिए।
- एलडीए कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष शिव प्रताप सिंह का कहना है कि वर्तमान में एलडीए में 45 के करीब भ्रष्ट कर्मचारी हैं।
- जिन्होंने एलडीए के संपत्ति आदि विभाग में तैनात रहते हुए करोड़ों की संपत्ति अर्जित की है।
- बावजूद इसके वे अपनी कुर्सियों पर जमे हुए हैं।
- यही नहीं, एलडीए वीसी अगर पारदर्शिता लाना चाहते हैं तो उन्हें इन कर्मियों की निष्पक्षता से जांच करानी चाहिए
- जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो सके।
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