6 दिसंबर, 1992 को उत्तर प्रदेश के फ़ैजाबाद जिले में बहुचर्चित ‘बाबरी विध्वंस’ हुआ था, जिसके बाद से ही सूबे की राजनीति में तुष्टिकरण की राजनीति का जहर घुल गया था. रामजन्मभूमि विवाद के रूप में मामला देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है. अखाड़ा परिषद् और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड बाबरी विध्वंस के बाद ही आमने-सामने है. uttarpradesh.org ने रामजन्म भूमि और वहां रहने वाले लोगों की दिनचर्या देखी और उनकी बात को आपके बीच पहुँचाने की कोशिश की है.



कड़ी सुरक्षा के बीच होते हैं राम लला के दर्शन:

  • राजनीति तो जमकर हुई है लेकिन इन राजनीति और विवाद के बीच अयोध्या के लोगों को कभी सुकून नहीं मिल पाया.
  • विकास के दावे होते रहे लेकिन विकास से कोसों दूर है अयोध्या.
  • अयोध्या में राम जन्मभूमि पूरी तरह से अब सुरक्षाबलों के हवाले है.
  • यहाँ परिंदा भी पैर नहीं मार सकता है.
  • कड़ी सुरक्षा के बीच यहाँ टेंट में विराजमान प्रभु राम के दर्शन करने बड़ी संख्या में लोग रोज आते हैं.
  • सघन चेकिंग के बाद परिसर में दाखिल होते ही आस-पास बंदरों की उछल-कूद आकर्षित करती है.
  • यहाँ के आस-पास के लोगों का रहन-सहन और दिनचर्या देख हैरानी होती है.
  • पुरानी जर्जर इमारतों और मकानों को देख आप समझ सकते हैं कि यहाँ अब काफी लोग अपना घर छोड़ जा चुके हैं.
  • वहीँ कुछ ऐसे हैं जो लोग वहां रहते तो हैं लेकिन वो भी विवादों के बीच अपना सामंजस्य बिठा चुके हैं और ये मान चुके हैं कि अब आखिरी फैसला कोर्ट ही करेगा.
  • कई लोगों का कहना है कि विवाद का नाम सुनकर कान पक गए.

रामजन्म भूमि के आस-पास की थमी हुई जिंदगी की रफ़्तार:




 


विवादों के बीच उलझे अयोध्यावासी 

  • वोट बैंक कहिये या समुदाय की राजनीति, कहीं से भी अयोध्या का भला होता नहीं दिखाई दिया.
  • कुछ महंतों का कहना है कि आखिर प्रभु राम कब तक टेंट में रहेंगे.
  • वहीँ कुछ मुस्लिम परिवार के लोगों ने भी कहा कि जो भी फैसला आये, जल्दी आये ताकि यहाँ के लोगों को रोजगार मिले.
  • अच्छी सड़कें मिले. पर्यटन के लिहाज से भी इस क्षेत्र का विकास हो सके.
  • जो लोग झगड़े के कारण अपना काफी-कुछ गँवा चुके हैं वो तो सुप्रीम कोर्ट की तरफ हर वक्त उम्मीद की नजरों से देखते भर हैं. 


 

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