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श्रावस्ती: अधर में लटकी शिक्षा व्यवस्था, जर्जर भवन में पढ़ने को मजबूर बच्चे

उत्तर प्रदेश सरकार भले ही बेहतर शिक्षा देने की तमाम दावे कर रही हो लेकिन ये सारे दावे श्रावस्ती जिले के प्राथमिक विद्यालय खनपुरवा में बेईमानी साबित हो रही हैं. हरिहरपुर -रानी विकास खंड के ग्राम-सभा अमवा में निर्मित इस स्कूल में मूलभूत सुविधाओं की स्थिति बहुत खराब है, या यूं कह ले कि मूलभूत सुविधाओं के लिये विद्यालय तरस रहा है।

प्राथमिक विद्यालय में नहीं हैं मूलभूत सुविधाएँ:

प्रदेश के श्रावस्ती  जिले के प्राथमिक विद्यालय खनपुरवा में न तो स्वच्छ पानी-पीने की उचित व्यवस्था है और न ही यहाँ अभी-तक शौचालय का निर्माण करवाया गया है. ऐसे में स्कूल में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं खुले में शौच करने को मजबूर है. जिसके चलते कई घटनाएं भी बच्चियों के साथ कभी कभार घटित हो जाती है।
disreputable Primary govt schools lack basic facilities
वहीं अगर बात की जाए स्कूल भवन की तो स्कूल भवन काफी जर्जर हालत में बना हुआ है. स्कूल के शिक्षक ने बताया कि बरसात के इन दिनों में स्कूल के छत से पानी टपकता रहता है। वहीं स्कूल भवन कि दीवारे देखने से ही साफ़ पता चलता है कि स्कूल में पेन्ट यानी पुताई सालो से नही करवाई गई है।

शिक्षा व्यवस्था भी है बेकार: 

वर्तमान में विद्यालय में 110 छात्रो का नाम रजिस्टर पर दर्ज हैं लेकिन उपस्थिति महज 25 बच्चो की ही है। वहीं इन छात्रों को सही से “का का हा रा” सहित साधारण अंग्रेजी भी नहीं आती. हमारे रिपोटर ने 5वीं कक्षा के छात्र से कुछ प्रश्न पूछे तो छात्र के जवाब के साथ ही स्कूल में दी जा रही शिक्षा की पोल खुल गयी.
वहीं जब इस पूरे मामलें में स्कूल के प्रभारी प्रधान शिक्षक वृजेंद्र कुमार जायसवाल से बात की गयी तो उन्होंने भी ताल मटोल कर मामलें को छुपाने की कोशिश की.

नहीं है सफाईकर्मी: 

अब अगर बात करें यहां कि अन्य मूलभूत सुविधाओं की तो स्कूल में एक भी सफाई कर्मी की तैनाती नही है. जिससे परिसर में गन्दगी का अम्बर लगा रहता है।

वहीं स्कूल में कमरे, प्रयोगशाला, शौचालय, फर्नीचर, ब्लैक बोर्ड, खेल के मैदान एवं पीने की पानी की सुविधाएं है ही नहीं। विद्यालय में बच्चे उपस्थित ही नहीं रहते, क्योंकि अभिभावक बच्चे का नाम लिखवाकर उसे स्कूल भेजने के बजाय अपने साथ मजदूरी पर ले जाते हैं एवं कभी-कभार ही वह बच्चे विद्यालय आते है इसके पीछे बड़ी वजह स्कूल में मौजूद अव्यवस्था भी है।

जर्जर है स्कूल की इमारत:

अब इस स्कूल की स्थिति देखने के बाद योगी सरकार के बेहतर शिक्षा देने वाले दावों पर सवाल उठना भी लाजिमी है कि जब विद्यालय में मूलभूत सुविधाएं ही नहीं तो फिर बच्चे कैसे पढ़े और यदि बच्चे पढ़ने आये भी तो जर्जर भवन होने के चलते कभी भी बड़ी दुर्घटना होने की प्रबल संभावना है?
क्या ऐसे ही पढ़ेगा भारत का भविष्य….? जब ऐसे पढ़ेगा इंडिया तो कैसे बढ़ेगा इंडिया?

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